Mehndi in Winters: सर्दियों में मेहंदी लगाने से ठंडक मिलती है यह एक लोकप्रिय मिथक है, लेकिन इसमें कोई वैज्ञानिक या चिकित्सकीय सिद्धांत नहीं है. मेहंदी का रंग और उसमें मौजूद गुण त्वचा के साथ संविदानशीलता बनाए रखने का कारण बन सकते हैं, लेकिन यह ठंडक प्रदान करने का कोई सिद्धांतिक कारण नहीं है. मेहंदी का रंग त्वचा के सतह पर लगते ही कुछ समय तक खुद को दिखाना शुरू करता है और फिर धीरे-धीरे गहरा होता है. इसका रंग त्वचा के ऊपर की कुछ स्तरों तक पहुंचता है, जिससे मेहंदी का अपना खास रंग प्राप्त होता है. इसमें हिना नामक एक साबुत सामग्री होती है, जो त्वचा के साथ संदर्भित होने से उसमें ठंडक बनी रहती है. लेकिन यह ठंडक त्वचा के अंदर तक नहीं पहुंचती, इसलिए यह सिर्फ एक अहसास की भांति होती है. इसलिए, मेहंदी को त्वचा पर लगाने का प्रमुख उद्देश्य सौंदर्यिक और सांस्कृतिक हो सकता है, लेकिन इससे ठंडक का वास्तविक और साइंटिफिक फायदा होना चाहिए इसका कोई सुदृढ़ सिद्धांत नहीं है. मेहंदी हाथों पैरों के अलावा बालों में भी लगायी जाती है. लेकिन जैसे ही सर्दियों का मौसम आता है लोग मेहंदी लगाने से बचते हैं. वैसे शादियों का सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में आप भी ऐसी कई पार्टियों में जाएंगी जहां मेंहदी लगानी हो, ऐसे में आपको मेहंदी लगानी चाहिए या नहीं इसके फायदे और नुकसान क्या हैं जान लें. सर्दियों में मेहंदी लगाना एक प्रमुख सामाजिक सांस्कृतिक रीति है और इसे सौंदर्यिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. यह त्योहार, शादी और अन्य खास मौकों पर महिलाओं द्वारा आम तौर से की जाती है. यहां कुछ मेहंदी लगाने के फायदे और नुकसान हैं:
फायदे:
ताजगी और सौंदर्य:
मेहंदी को सर्दियों में लगाने से हाथों और पैरों में ताजगी और सौंदर्य आता है, जिससे व्यक्ति आत्मविश्वास महसूस करता है.
प्राकृतिक और सुरक्षित:
मेहंदी एक प्राकृतिक रूप से प्राप्त की जाने वाली सुरक्षित और प्राकृतिक सामग्री है, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाए बिना सुंदरता बढ़ाती है.
आयुर्वेदिक लाभ:
मेहंदी का रंग और उसमें पाये जाने वाले गुण आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जो कई त्वचा संबंधित समस्याओं का समाधान करने में मदद कर सकते हैं.
शादी के रीति-रिवाज में हस्तक्षेप:
मेहंदी को शादी के रीति-रिवाज में एक महत्वपूर्ण और सांस्कृतिक हस्तक्षेप माना जाता है और यह खासकर दुल्हन के लिए महत्वपूर्ण होता है.
नुकसान:
चिपचिपा लगना:
कुछ लोगों को मेहंदी का रंग अच्छा नहीं लगता, और कई बार यह चिपचिपा लग सकता है जो उन्हें असहजता महसूस करा सकता है.
अलर्जी का खतरा:
कुछ लोगों को मेहंदी के प्रति अलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर चकत्ते, खुजली, या लालिमा हो सकती है.
रंग का टूटना:
मेहंदी का रंग समय के साथ टूट सकता है, खासकर अगर त्वचा की देखभाल नहीं की जाती.
रंगता हुआ कपड़ा:
मेहंदी का रंग त्वचा के साथ नहीं ही कपड़ों और अन्य सामग्रियों के साथ भी चिपक सकता है, जिससे कपड़े बिगड़ सकते हैं.
सर्दियों में मेहंदी लगाने का रूप एक सांस्कृतिक और सुंदर परंपरा है, जो लोगों के बीच में एक मिठास और बंधन का सिरा बनाए रखती है. हालांकि, यदि किसी व्यक्ति को इसमें किसी भी प्रकार की अलर्जी या और कोई समस्या हो, तो उन्हें चाहिए कि वे सावधानी बरतें और त्वचा पर यह सुनिश्चित करें कि वे उपयुक्त सामग्री का प्रयोग कर रहे हैं.
Source : News Nation Bureau