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GI Tag Bengali Saree: वेस्ट बंगाल की इन 3 साड़ियों को मिला GI टैग, जानें इनकी खासियत

GI Tag Bengali Saree: पश्चिम बंगाल की हथकरघा साड़ियों की तीन किस्मों - तंगेल, कोरियाल और गराड - को जीआई टैग दिया गया है. आइए एक नजर डालते हैं कि साड़ियों की इन तीन किस्मों को क्या खास बनाता है.

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Inna Khosla
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GI Tag Bengali Saree

GI Tag Bengali Saree( Photo Credit : News Nation)

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GI Tag Bengali Saree: पश्चिम बंगाल में साड़ियों का इतिहास उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करता है. बंगाल के साड़ियों का इतिहास विभिन्न युगों में विकसित हुआ है और उन्हें विविधता, कला और शैली में विशेषता मिलती है. पश्चिम बंगाल की साड़ियां अपने विशेष बुनाई, रंगों और डिजाइन के लिए प्रसिद्ध हैं. इन्हें अक्सर "ताँत" कहा जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त टेक्सटाइल है. पश्चिम बंगाल की साड़ियों के विशेष रंग और डिजाइन उनके इतिहास, सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय वस्त्र शैलियों को प्रतिबिम्बित करते हैं. ये साड़ियाँ आमतौर पर धार्मिक और सामाजिक उत्सवों में पहनी जाती हैं और बियरीयों, कथाएँ, और कला के माध्यम से कई परंपराओं को साकार करती हैं. पश्चिम बंगाल की साड़ियों को पहनने का परंपरागत तरीका उनकी विशेषता है. ये साड़ियां आमतौर पर महिलाओं के लिए स्थानीय उत्सवों, धार्मिक प्रतिविधियों और अन्य सामाजिक आयोजनों में पहनी जाती हैं. इसके अलावा, बंगाल की साड़ियाँ अपने अद्वितीय बुनाई और डिजाइन के लिए विश्वसनीयता प्राप्त हैं और विभिन्न कला केंद्रों और वस्त्र उद्योगों में उत्पादित की जाती हैं. इस तरह, पश्चिम बंगाल की साड़ियाँ उसकी धार्मिक, सांस्कृतिक और औद्योगिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

वेस्ट बंगाल की GI टैग वाली साड़ियां

बांग्ला साड़ी: यह साड़ी बंगाल के प्रमुख रेशम वस्त्रों में से एक है और GI टैग से पुरस्कृत है. इसकी विशेषता उसके दिव्यता और कारीगरी में है.

धनेखाली साड़ी: धनेखाली गांव में बुनी जाती है, जो कि पश्चिम बंगाल में स्थित है. यह साड़ी पारंपरिक तकनीक से बुनी जाती है और अपनी शृंगार और कुशलता के लिए प्रसिद्ध है.

बोलपुर साड़ी: यह साड़ी भारतीय प्रदेश पश्चिम बंगाल के बोलपुर नगर में बुनी जाती है. इसकी खासियत उसकी रंगीनता और कपड़ों की मिलान की योजना में है.

इन साड़ियों को बंगाल की सांस्कृतिक और कला का प्रतीक माना जाता है, जो उनकी अनूठी और कुशल कारीगरी को दर्शाते हैं. ये साड़ियां अपनी विशेष डिज़ाइन और क्लासिक रूप से प्रसिद्ध हैं, जो लोगों की पसंदीदा बनी हैं. 

GI टैग क्या होता है? 

जीआई टैग (GI tag) एक प्रकार का प्रमाणपत्र होता है जो किसी विशेष क्षेत्र, स्थान, उत्पाद, या वस्त्र को देने के लिए प्रयोग किया जाता है. यह प्रमाणित करता है कि वह उत्पाद विशिष्ट क्षेत्र या स्थान से उत्पन्न हुआ है और वहां की विशेषता, गुणवत्ता या परंपरा को संरक्षित करता है. GI टैग उत्पादों की गुणवत्ता, पहचान, और उनके निर्माण के प्रक्रिया को सुनिश्चित करने में मदद करता है, जिससे उनका बाजार में मूल्यवर्धित होता है. इसका उदाहरण है कीमती उत्पादों के जैसे दर्जीलिंग चाय, बनारसी साड़ी, अलीबाग चीकू, नागपुर ऑरेंज, और इसके साथ ही भारतीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान और मान्यता भी प्रदान करता है.

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Source : News Nation Bureau

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