Lehenga History: लहंगा एक प्रमुख भारतीय परिधान है जो महिलाओं द्वारा पसंद किया जाता है, विशेष रूप से शादी और त्योहारों में. यह एक पारंपरिक भारतीय परिधान है जो पूरे भारत में विभिन्न स्थानों पर पहना जाता है. लहंगा एक त्रिभुजाकार फूल स्कर्ट होता है, जिसे विभिन्न रंगों, डिज़ाइन और कटाव के साथ बनाया जाता है. लहंगे के साथ एक छोटा चोली और दुपट्टा भी होता है, जो महिलाओं को एक आकर्षक और ग्रेसफुल लुक देता है. लहंगा की विभिन्न विधाओं में शामिल हैं आधुनिक लहंगा, लहंगा चोली, गाउन स्टाइल लहंगा आदि. यह विभिन्न अवसरों पर पहना जा सकता है, जैसे कि शादी, सांस्कृतिक उत्सव, पार्टी और त्योहार. लहंगे का उपयोग आजकल भी बढ़ता हुआ है, विशेष रूप से ब्राइडल लहंगे, जो विशेष अवसरों पर लड़कियों और महिलाओं द्वारा पसंद किया जाता है. इसके अलावा, लहंगा भी बाजार में विभिन्न कटाव और डिज़ाइन में उपलब्ध है, जो व्यक्तिगत पसंद के अनुसार चुना जा सकता है.
उत्पत्ति: लहंगे का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है. मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में मिले चित्रों में लहंगे जैसी पोशाक पहने महिलाओं को दिखाया गया है. उस समय लहंगे को 'अंतरवास' कहा जाता था.
मध्यकाल: मध्यकाल में लहंगे को 'घाघरा' कहा जाता था. उस समय लहंगे को कुर्ती या चोली के साथ पहना जाता था. लहंगे को विभिन्न रंगों और डिजाइनों में बनाया जाता था.
मुगल काल: मुगल काल में लहंगे का बहुत प्रचलन हुआ. मुगल महिलाएं लहंगे को 'पेशवाज' और 'तहमत' के साथ पहनती थीं. उस समय लहंगे को भारी-भरकम कढ़ाई और ज़रदोज़ी से सजाया जाता था.
आधुनिक युग: आधुनिक युग में लहंगे में कई बदलाव आए हैं. लहंगे को अब विभिन्न प्रकार के कपड़ों से बनाया जाता है. लहंगे को विभिन्न प्रकार के कुर्ते, चोली, और टॉप के साथ पहना जाता है. लहंगे को विभिन्न अवसरों पर पहना जाता है.
लहंगे के प्रकार: लहंगे को विभिन्न प्रकार के कपड़ों से बनाया जाता है, जैसे कि रेशम, शिफॉन, जॉर्जेट, और ब्रोकेड. लहंगे को विभिन्न प्रकार के डिजाइनों में बनाया जाता है, जैसे कि अनारकली, लहंगा चोली, और लहंगा स्कर्ट. लहंगे को विभिन्न अवसरों पर पहना जाता है, जैसे कि शादी, त्यौहार, और पार्टी.
लहंगे का महत्व: लहंगा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. भारतीय महिलाओं की सुंदरता और स्त्रीत्व का प्रतीक है.
Source : News Nation Bureau