कल यानी मंगलवार से सावन (Sawan 2019) का महीना शुरू हो रहा है. इससे पहले ही देश के कई हिस्सों में बारिश आफत बनकर आई है. दिल्ली-एनसीआर में लंबे इंतजार के बाद मानसून (Monsoon) ने दस्तक दी है. बारिश की बूंदों ने गर्मी से जरूर राहत दी है, लेकिन गर्मी से राहत के साथ ही सावन (Sawan 2019) के मौसम में मच्छर और कई तरह के संक्रमण भी दस्तक देंगे.
बारिश के दौरान जगह-जगह होने वाले जलभराव के चलते कई तरह की बीमारियां फैलती हैं. यही वजह है कि बारिश के मौसम में आपको अपने खान-पान का खास ध्यान रखना होगा. मानसून में हम चाय और पकौड़े के आदी बन जाते हैं, इसके साथ ही तीखी कचौरी भी हमारी डाइट का इन दिनों हिस्सा बन जाती है. इस मौसम में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है, जिससे शरीर के बैक्टीरिया के चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है. तो इस मौसम में हमें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत होती है.
खाने में शामिल करें गुड बैक्टीरिया
बरसात के मौसम में पर्यावरण में काफी नमी आ जाती है. इसकी वज़ह से बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीव आसानी से पनपते हैं. इनकी वज़ह से हमारी पाचन शक्ति पर भी असर पड़ने लगता है. खराब वैक्टीरिया से मुकाबला करने के लिए ज़रूरी है कि शरीर में अच्छे वैक्टीरिया शरीर की मात्रा को बढ़ाया जाए. माइक्रोबायोटा, गट फ्लोरा और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल माइक्रोबायोटा वो सूक्ष्म जीव हैं जो हमारे पाचन तंत्र में होते हैं.
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मानसून (Monsoon) में प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक फूड इस अतिरिक्त देखभाल में आपकी मदद कर सकते हैं. प्रोबायोटिक्ट आपके पाचन तंत्र में मौजूद सूक्ष्म जीवों के पोषण के लिए ज़रूरी होते हैं. प्रीबायोटिक गैर पाचक कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो हमारे पाचन तंत्र की अतिरिक्त देखभाल करते हैं. ये उन फूड्स में पाए जाते हैं, जिसमें फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है.
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वैज्ञानिक शोधों का सुझाव है कि आंतों में रहने वाले सूक्ष्मजीव हमारे स्वास्थ्य को काफी प्रभावित करते हैं. मानसून (Monsoon) की वज़ह से संक्रमण और एलर्जी का ख़तरा पैदा हो जाता है. ऐसे में प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक फूड का सेवन एक प्राकृतिक बचाव की तरह काम करता है. जिससे आपकी आंतों में संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.
क्या खाएं और क्या नहीं
- बरसात के मौसम में ज़्यादा से ज़्यादा दही का इस्तेमाल करना चाहिए. योगर्ट यानी दही प्राकृतिक प्रोबायोटिक फूड है, इस मौसम में आपको रोज़ाना ही एक कटोरी दही अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए. दही के सेवन से आपका पाचन अच्छा रहता है. इसका सेवन एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फलों के साथ या ऐसे ही किया जा सकता है.
- आप नाश्ते में इडली का सेवन कर सकते हैं, जो कि आपके पाचनतंत्र के लिए बेहतर होता है. इसके साथ ही ज्यादा मात्रा में फाइबर और सब्जियों को अपनी डाइट का हिस्सा बनाना चाहिए.
- केला और मौसमी फल, लहसुन, प्याज भी पाचन के लिए बेहतर होता है. प्रोसेस्ड फूड और शुगर के साथ ही उन खाद्य पदार्थों के सेवन से भी बचना चाहिए जिसमें कार्बोहाईड्रेट की मात्रा खूब होती है.
- साबुत अनाज में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व, प्रोटीन, फायबर, विटामिन बी, एंटीऑक्सीडेंट्स समेत कई मिनरल्स (आयरन, जिंक, कॉपर, मैग्नीशियम) होते हैं. ऐसे में इनका सेवन इस मौसम में खूब किया जाना चाहिए.
- दक्षिण भारतीय फूड प्रोबायोटिक के अच्छे स्रोत होते हैं. इनमें इडली, डोसा और खमीर युक्त खाद्य पदार्थ आपके स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर होते हैं.
आंखों का ऐसे रखें खयाल
- इस मौसम में आंखों में होने वाले सबसे आम संक्रमण हैं 'कंजक्टिवाइटिस' या आमतौर पर आई फ्लू, स्टाई और कॉर्नियल अल्सर. हमेशा अपनी आंखों के नजदीक आने वाले कपड़ों और अपने हाथों को साफ रखें.
- अपने निजी सामान जैसे तौलिए, चश्मा, कॉन्टेक्ट लेंस इत्यादि किसी के साथ साझा न करें. जब भी आप अपने घर से बाहर जाते हैं, तो धूप का चश्मा या चश्मा पहनें. वे बाहरी तत्वों को हमारी आंखों में प्रवेश करने से रोकते हैं.
- रोजाना ठंडे पानी से अपनी आंखें धोएं. जागने या कॉन्टेक्ट लेंस को हटाने के बाद अपनी आंखों को जोर से न रगड़ें, क्योंकि यह कॉर्निया को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है.
- मानसून (Monsoon) के दौरान कॉन्टेक्ट लेंस न पहनें, क्योंकि वे आंखों में अत्यधिक सूखेपन का कारण बन सकते हैं, जिससे आंखें लाल हो सकती हैं और उनमें जलन हो सकती है. अपने चश्मे को साफ और सूखा रखें.
- जलभराव वाले क्षेत्रों से बचें, क्योंकि उनमें बहुत सारे वायरस, बैक्टीरिया और फंगस होते हैं जो आसानी से संक्रमित हो सकते हैं और नुकसान पहुंचा सकते हैं.किसी भी संक्रमण से लड़ने के लिए अपने शरीर को स्वस्थ और प्रतिरक्षा प्रणाली को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए संतुलित और स्वस्थ आहार लें.