Govardhan Puja 2024: पूरा देश इन दिनों दीपोत्सव के खुमार में डूबा हुआ है. दिवाली के बाद यानी कि 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाएगा. यह हिंदुओं का बेहद खास त्योहार होता है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस त्योहार को मनाने के पीछे एक बेहद खास कहानी है. जब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा कर ब्रजवासियों की रक्षा की थी. गोवर्धन पूजा में खास रूप से गोवर्धन पर्वत का प्रथीकात्मक निर्माण किया जाता है. इस दिन लोग भगवान कृष्णा की पूजा करते हैं और गोवर्धन की परिक्रमा (govardhan puja kab hai 2024) करने जाते हैं. गोवर्धन की परिक्रमा लगभग 21 किमी की होती है और माना जाता है इस परिक्रमा से आपके सारे पाप धूल जाते हैं. पर अगर आप गोवर्धन जा रहे हैं तो आप इसके आस-पास के इलाके में भी घूम सकते हैं. तो आइए एक बार देख लेते हैं गोवर्धन में कहां-कहां आप घूम सकते हैं.
दान घाटी
दान घाटी एक ऐसा मंदिर है जहां माना जाता है कि देवता एक चट्टान के रूप में हैं. जिसके बारे में कहा जाता है कि यह हर साल कुछ मिलीमीटर नीचे धरती में समा जाती है.
राधा कुंड
राधा कुंड को राधारानी का पवित्र स्नान स्थल माना जाता है. इसमें स्नान करने की परंपरा है. माना जाता है कि कृष्ण ने एड़ी से जमीन पर प्रहार किया और सभी पवित्र नदियों का जल प्रकट हो गया. उस समय उस स्थान को श्यामा-कुंड के नाम से जाना जाता था. गोपियों ने भी अपनी चूड़ियों से धरती खोदकर एक कुंड बनाया. इस प्रकार, राधा कुंड प्रकट हुआ.
कुसुम सरोवर
यह शांत और खूबसूरत सरोवर, राधा कुंड से लगभग 25 मिनट की दूरी पर स्थित है. यहां आपको घाट देखने को मिलेंगे, जहां आप अपने परिवार और खास लोगों के साथ समय बिता सकते हैं. इस जगह के बारे में भी ज्यादा
लोगों को नहीं पता है, इसलिए यहां आपको ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं मिलेगी. इस सरोवर के पास आपको एक खूबसूरत महल भी देखने को मिलेगा, जिसका निर्माण साल 1764 में भरतपुर के राजा जवाहिर सिंह ने अपने पिता के लिए करवाया था.
मानसी गंगा
मानसी गंगा एक बड़ी झील हुआ करती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह बहुत छोटी हो गई है. ऐसा कहा जाता है कि राधारानी और कृष्ण इस झील पर नौका विहार करते थे. आप यहां कैसे घूम सकते हैं.
बलुआ पत्थर
राधा कुंड से 25 मिनट की पैदल दूरी पर, यह बलुआ पत्थर का स्मारक आमतौर पर एक शांतिपूर्ण जगह है. इस कुंड के घाट और ऊपर की इमारतों का निर्माण 1764 में भरतपुर के राजा जवाहिर सिंह ने अपने पिता राजा सूरज मल्ल के सम्मान में करवाया था. मुख्य मकबरे की छत पर खूबसूरत पेंटिंग हैं. तो गोवर्धन जाएं तो इन जगहों पर जरूर घूमकर आएं.
मुखारविंद मंदिर, जतीपुरा
श्रद्धालु इस मंदिर से ही गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा शुरू करते हैं. रोजाना हजारों लोग यहां दूध और फूल लेकर पहुंचते हैं ताकि अपनी पूजा परिक्रमा की शुरुआत कर सकें. इस पवित्र स्थल को अपनी सकारात्मक ऊर्जा के लिए जाना जाता है.
कैसे पहुंचे यहां?
दिल्ली-नोएडा के लोग यहां तीन आसान रूट्स की मदद से पहुंच सकते हैं. आपको दिल्ली से काफी ट्रेनें मिल जाएंगी, आप अपनी प्लानिंग के साथ ट्रेन का चुनाव कर सकते हैं. दिल्ली और नोएडा से प्राइवेट और सरकारी बसें मिल जाएंगी, जो आपको सीधा मथुरा उतारेंगी. अगर आप गाड़ी से जाना चाहते हैं तो यह भी बेस्ट ऑप्शन है, यहां से मथुरा सिर्फ 28 किलोमीटर की दूरी पर है.
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