Independence Day 2024: 15 अगस्त और 26 जनवरी को लेकर लोगों में काफी कंफ्यूजन रहता है. भारत के झंडे का ध्वजारोहण और झंडा फहराना ये दो अलग आयोजन हैं और ये दोनों आयोजन 15 अगस्त और 26 जनवरी को किए जाते हैं. पंडित नेहरू ने लाल किले पर 15 अगस्त 1947 के दिन ध्वजारोहण किया था और 26 जनवरी को राष्ट्रपति की ओर से झंडा फहराया जाता है. यह दोनों आयोजन लाल किले और राज पथ पर आयोजित होते हैं. आइए जानते हैं 26 जनवरी और 15 अगस्त को झंडा फहराने के अंतर के बारें में.
झंडा फहराने का नियम
15 अगस्त 1947 को हमारा भारत देश आजाद हुआ था जबकि 26 जनवरी 1950 को हमारे भारत देश का संविधान अस्तित्व में आया था और भारत एक गणराज्य घोषित हुआ था. 15 अगस्त यानी (स्वतंत्रता दिवस ) और 26 जनवरी( गणतंत्र दिवस) को राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है लेकिन दोनों अवसरों पर झंडा फहराने के नियम अलग हैं. स्वतंत्रता दिवस पर झंडे को नीचे से रस्सी खींचकर पहले ऊपर लाया जाता है फिर उसे खोलकर फहराया जाता है. जिसे ध्वजारोहण किया जाता है . और 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है और उसे खोलकर फहराया जाता है.
15 अगस्त व 26 जनवरी के आयोजन में अंतर
भारत के देशवासियों को मालूम ही होगा कि 15 अगस्त व 26 जनवरी को होनेवाला मुख्य कार्यक्रम हमारे देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित होता है जहां मुख्य कार्यक्रम का आयोजन होता है. आइए जानते हैं दोनों कार्यक्रमों में क्या है अंतर.
स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण लाल किले से किया जाता है और 26 जनवरी को झंडा राजपथ पर फहराया जाता है.
15 अगस्त पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं जबकि 26 जनवरी को राष्ट्रपति ध्वज फहराते हैं.
गणतंत्र दिवस के मौके पर दूसरे देश के राजनायकों को आमंत्रित किया जाता है और स्वतंत्रता दिवस पर किसी भी अतिथि को नहीं बुलाया जाता है.
गणतंत्र दिवस पर देश की सैन्य ताकत व सांस्कृतिक समृद्धि की झलक देशवासियों के सामने प्रस्तुत की जाती है जबकि स्वतंत्रता दिवस पर ऐसा कोई समारोह नहीं होता है.