क्या है 56 भोग? कैसे हुई इसकी शुरुआत, जन्माष्टमी पर जानिए इसके पीछे की कहानी

यह भोग शुद्ध और दूध उत्पादों से शुरू होता है जो भगवान कृष्ण के बचपन से जुड़ा होता है. यह छप्पन भोग सिर्फ भोजन और स्वाद के बारे में नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिकता और भक्ति का संपूर्ण अनुभव है जो हमें भगवान से जोड़ता है.

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Neha Singh
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यह भोग भगवान के प्रति भावनाओं के जाहिर करने के लिए प्रेम से बनाया जाता है.

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56 Bhog For Janmashtami: श्री कृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी का पर्व आज यानि 26 अगस्त को भक्तिभाव और उत्साह के साथ देशभर में मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान कृष्ण को तरह-तरह के व्यंजन और पकवान चढ़ाए जाते हैं. इन्हीं में से एक है 56 भोग. यानी एक ऐसी थाली जिसमें 56 प्रकार के भोग हों. लेकिन क्या आपको पता है इसकी शुरुआत कैसे हुई, क्या-क्या इसमें शामिल होता है और इसके पीछे की क्या है कहानी? तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से. 

छप्पन भोग की कहानी -1

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था तब उन्हें लगातार सात दिन भूखा रहना पड़ा था. इसके बाद उन्हें सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खिलाए गए थे. माता यशोदा अपने लला कान्हा को 7 दिन 8 प्रहर अलग-अलग पकवान खिलाया करती थीं. तो कुल मिलाकर 56 भोग हुए इसलिए उन्हें छप्पन भोग चढ़ाया जाने लगा. 

छप्पन भोग की कहानी -2 

गौ लोक में श्रीकृष्‍ण और राधा एक दिव्य कमल पर विराजते हैं. उस कमल की तीन परतों में 56 पंखुड़ियां होती हैं.प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और बीच में भगवान विराजते हैं. इसलिए 56 भोग लगाया जाता है.

ये है इसके पीछे का गणित

कड़वा, तीखा, कसैला, अम्ल, नमकीन और मीठा ये छह रस या स्वाद होते हैं. इन छह रसों के मेल से अधिकतम 56 प्रकार के खाने योग्य व्यंजन बनाए जा सकते हैं. इसलिए 56 भोग का मतलब है वह सभी प्रकार का खाना जो हम भगवान को अर्पित कर सकते हैं. 

क्यों लगाते हैं कान्हा को छप्पन भोग? 

जन्माष्टमी पर मंदिरों और कई घरों में भगवान कृष्ण को छप्पन भोग लगाया जाता है. कृष्ण के लिए छप्पन भोग 56 प्रसाद वस्तुओं का मिश्रण है जो उन्हें जन्माष्टमी पर चढ़ाया जाता है. यह भोग भगवान के प्रति भावनाओं के जाहिर करने के लिए प्रेम से बनाया जाता है. इसमें 56 व्यंजन शामिल होते हैं. जिनमें भगवान कृष्ण के सभी पसंदीदा व्यंजन होते हैं. यह भोग शुद्ध और दूध उत्पादों से शुरू होता है जो भगवान कृष्ण के बचपन से जुड़ा होता है. यह छप्पन भोग सिर्फ भोजन और स्वाद के बारे में नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिकता और भक्ति का संपूर्ण अनुभव है जो हमें भगवान से जोड़ता है.

56 भोग में शामिल होने वाले व्यंजन

छप्पन भोग में चढ़ाए जाने वाले व्यंजनों में पंजीरी, माखन-मिश्री, खीर, रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, जीरा-लड्डू, मालपुआ, मोहनभोग, मूंग दाल हलवा, घेवर, पेड़ा, काजू-बादाम बर्फी, पिस्ता बर्फी, पंचामृत, गोघृत, शक्कर पारा, मठरी, चटनी, मुरब्बा, आम, केला, अंगूर, सेब, आलूबुखारा, किशमिश, पकौड़े, साग, दही, चावल, कढ़ी, चीला, पापड़, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, दूधी की सब्जी, पूड़ी, टिक्की, दलिया, देसी घी, शहद, सफेद-मक्खन, ताजी क्रीम, कचौरी, रोटी, नारियल पानी, बादाम का दूध, छाछ, शिकंजी, चना, मीठे चावल, भुजिया, सुपारी, सौंफ, पान और मेवा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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