life Expectancy: दुनिया में हर कोई लंबी जिंदगी जीना चाहता है. लेकिन अब इंसानों का एवरेज जीवन कम हो चुका है. दुनिया में अधिकांश लोग चाहते हैं कि उनकी उम्र लंबी हो और वो स्वस्थ रहे. लेकिन ऐसा संभव नहीं होता है. जहां पहले के बुजुर्ग 100 सालों तक जिंदा रहते थे, वो अभी उनकी एवरेज उम्र 60-65 तक पहुंच चुकी है. लेकिन आज हम आपको दुनिया की ऐसी एक जगह के बारे में बताने वाले हैं, जहां पर इंसानों की उम्र सबसे ज्यादा होगी. हम बात कर रहे हैं भारत की. यहां इंसान की उम्र बढ़ रही है. यानि अब भारत के लोग सबसे ज्यादा उम्र तक जिंदा रहेंगे. ऐसा हम नहीं कह रहे, हाल में हुई एक रिसर्च में ये खुलासा हुआ है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.
कणीय प्रदूषण में गिरावट से होगा ऐसा संभव
नई रिपोर्ट में जो दावा किया गया है कि भारत में प्रदूषण दर में कमी आई है. यानि प्रदूषण की वजह से जो मौतें हो रही थी या लोगों की उम्र घट रही थी उसमें अब सुधार देखने को मिलेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2021 की तुलना में 2022 में भारत में कणीय प्रदूषण (Perticulate Pollution) में 19.3 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है. यह बांग्लादेश के बाद दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी कमी है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रदूषण में इस कमी से देश के नागरिकों की जीवन प्रत्याशा में 51 दिनों की बढ़ोतरी हुई है.
3.6 वर्ष की कम भी हो सकती है उम्र
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अगर भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन के वार्षिक पीएम 2.5 सांद्रता मानक 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पूरा करने में सफन नहीं हो पाता है तो इसका नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलेगा. इससे भारतीयों की जीवन प्रत्याशा में 3.6 वर्ष की कमी आने की आशंका है. शिकागो विश्वविद्यालय (ईपीआईसी) में ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा 'वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक-2024' शीर्षक से वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिर्पोट पर ये दावे किए जा रहे हैं.
बारिश से आई प्रदूषण में गिरावट
अनुकूल मौसम की वजह से भारत सहित अन्य दक्षिण एशियाई देशों में कणीय प्रदूषण में गिरावट देखने को मिली है. शोधकर्ताओं के मुताबिक देश में इन दिनों जमकर बारिश हो रही है, जिसके चलते भी प्रदूषण में गिरावट आई है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2022 में PM 2.5 सांद्रता लगभग 9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी, जो 2021 की तुलना में 19.3 प्रतिशत कम है.
इन जगहों पर देखा गया सुधार
कणीय प्रदूषण में सबसे बड़ी गिरावट पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और बांकुरा जिलों में देखी गई. इसके बाद झारखंड के धनबाद, पूर्वी, पश्चिम सिंहभूम और बोकारो जिले हैं. प्रत्येक जिले में, PM2.5 सांद्रता में 20 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक की गिरावट आई. अगर आने वाले वर्षों में कणीय प्रदूषण के स्तर में गिरावट इसी दर से जारी रहती है, तो उत्तरी मैदानों में जीवन प्रत्याशा 1.2 वर्ष बढ़ सकती है
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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