हर साल 7 अगस्त को नेशनल हैंडलूम डे मनाया जाता है. ये दिन भारतीय अर्थव्यवस्था में कपड़ा क्षेत्र के महत्व को उजागर करता है. ये दिन इसमें काम करने वालों को काफी अधिक प्रभाव देता है. ये दिन हमारे इतिहास में हैंडलूम उघोग के महत्व को जोर देता है. यह दिन इसलिए भी मनाया जाता है ताकि जो लोग इस काम को करते है. उनकी मेहनत की तारीफ करें और उन्हें प्रोतसाहित करें. वहीं इस क्षेत्र में ज्यादातर महिलाएं शामिल होती है.
नेशनल हैंडलूम डे इतिहास
National Handloom Day 2024: नेशनल हैंडलूम डे की डेट स्वदेशी आंदोलन को मनाने के लिए चुनी गई थी, जिसे 7 अगस्त, 1905 को घोषित किया गया था. स्वदेशी आंदोलन ने भारतीयों को आयातित वस्तुओं का बहिष्कार करने और भारतीय निर्मित उत्पादों, विशेष रूप से हैंडलूम चीजों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया. नेशनल हैंडलूम डे की स्थापना 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इस उत्सव का मुख्य लक्ष्य हैंडलूम उद्योग के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना है, जो भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति का हिस्सा है.
ये है थीम
नेशनल हैंडलूम डे की थीम का विषय स्थायी भविष्य बुनना है और यह एक टिकाऊ फैशन और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों के महत्व के इर्द- गिर्दे घूमता है.
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ये है हैंडलूम के फेमस शहर
हैंडलूम के लिए आंध्र प्रदेश की कलमकारी, गुजरात की बांधनी, तमिलनाडु का कांजीवरम और महाराष्ट्र की पैठनी, मध्य प्रदेश की चंदेरी, बिहार का भागलपुरी सिल्क कुछ ऐसे हैंडलूम हैं, जो भारत ही नहीं, दुनिया भर में मशहूर हैं.
हैंडलूम डे कोट्स
हथकरघा सपनों को कपड़े में बुनता है.
बुनाई एक कला है जो परंपरा को नवीनता के साथ जोड़ती है.
हथकरघा - जहां हर धागे में परंपरा और रचनात्मकता का मेल होता है.
किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिलों और आत्मा में बसती है.
हथकरघा के माध्यम से हम भारत की कलात्मकता की भावना को छूते हैं.
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