अनंत चतुर्दशी और नीम करोली बाबा का क्या है संबंध, यहां जानिए रहस्य

हिंदू पंचाग (Hindu Panchang) के अनुसार इस साल 17 सितंबर यानि मंगलवार को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी. इस तिथि की शुरुआत 16 सितंबर दोपहर 03:10 से शुरू हो जाएगी.

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Neha Singh
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Neem Karoli Baba and Anant Chaturdashi

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Neem Karoli Baba and Anant Chaturdashi Connection: दिव्य पुरुष, महान योगीराज और भगवान हनुमान (Hanuman Ji) के परम भक्त नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba)देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी प्रसिद्ध हैं. हर जगह उनके भक्त मिल जाएंगे. दिनोंदिन उनके भक्तों और मानने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. बाबा नीम करोली ऐसे संत के तौर पर याद किए जाते हैं, जो सादा जीवन जीते थे और लोगों को अच्छे काम के साथ सादा जीवन जीने के लिए प्रेरित करते थे. उनके ऊपर श्रृद्धा रखने वाले लोगों का कहना है कि बाबा के विचारों ने कैसे उनके जीवन को दिया. या किस तरह बाबा ने उनको संकट के समय में राह दिखाई. लेकिन क्या आपको पता है अनंत चतुर्दशी का पर्व का बाबा के जीवन के क्या कनेक्शन है. अगर नहीं तो यह खबर पूरी पढ़िए. 

जानिए कब मनाई जाएगी अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2024)

हिंदू पंचाग (Hindu Panchang) के अनुसार इस साल 17 सितंबर यानि मंगलवार को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी. इस तिथि की शुरुआत 16 सितंबर दोपहर 03:10 से शुरू हो जाएगी. वहीं इसका समापन 17 सितंबर को सुबह 11:44 बजे होगा. हर वर्ष चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. घरों और मंदिरों में इसको लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. 

क्यों मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी 

मान्यता है सालभर में इस दिन श्रीहरि (Vishnu ji) की पूजा कर ली जाए तो 14 साल तक अनंत फल प्राप्त होता है. पांडवों (Pandav) को भी इस व्रत के प्रताप से खोया राजपाठ मिला था. मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने वाले जातकों के जीवन में खुशियों का आगमन होता है और समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है. 

नीम करोली बाबा और अनंत चतुर्दशी के बीच में ये है संबंध

ऐसा बताया जाता है कि 11 सितंबर 1973 की रात में बाबा जब अपने वृंदावन वाले आश्रम में थे तब उनकी तबीयत काफी खराब हो गई थी. तभी उन्हें आनन-फानन में अस्पतात ले जाया गया. वहां चिकित्सकों ने जांच के बाद उन्हें ऑक्सिजन मास्क लगाने की कोशिश की तो बाबा ने साफ इंकार कर दिया और कहा कि अब मेरे जाने का समय हो गया है.  उन्होंने तुलसी और गंगाजल को ग्रहण कर रात के करीब 1:15 पर अपना शरीर त्याग दिया. हालांकि उनकी मृत्यु का कारण मधुमेह कोमा बताया जाता है. लेकिन कहा जाता है कि, जिस दिन बाबा ने अपने प्राण त्यागे थे उस दिन अनंत चतुर्दशी थी. इस लिए ये दिन उनके भक्तों के लिए कभी न भूलने वाला दिन हो गया. 

कैसे पड़ा बाबा नीम करोली नाम 

लोक मान्यताओं के अनुसार एक बार बाबा फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे. जब टिकट चेकर आया तो उनके पास टिकट नहीं था. तब उन्हें अगले स्टेशन ‘नीब करोली’ में ट्रेन से उतार दिया गया. बाबा थोड़ी दूर पर अपना चिपटा धरती में गाड़कर बैठ गए. गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाई लेकिन ट्रेन एक इंच भी आगे नहीं हिली. बाद में बाबा से माफी मांगने के बाद उन्हें ससम्मान ट्रेन में बिठाया गया. उनके बैठते ही ट्रेन चल पड़ी. तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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