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PM Modi: जोधपुरी साफा, उम्मीदों का प्रतीक, जानें आखिर क्या खास है पीएम मोदी के साफे में

आज भारत ने अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाया है. वहीं आज का यह दिन हर किसी ने बड़े ही उत्साह से मनाया है. इसी के बीच पीएम मोदी का जोधपुरी साफा काफी सुर्खियों में है.

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Nidhi Sharma
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PM Modi

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देश ने आज अपना 78वां आजादी दिवस मनाया है. आज देशवासियों ने वीर सपूतों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजली दी है. आज पीएम मोदी लाल किले पर लहरिया साफा पहने दिखाए दिए है. वहीं इस मौके पर पीएम मोदी ने 11वीं बार लाल किले पर झंडा फहराया है. इस मौके पर पीएम मोदी ने मल्टी-कलर जोधपुरी साफा पहने दिखाई दे रहे है. इस बार पीएम मोदी ने खास जोधपुरी साफे को चुना. इसे राजस्थान की आन-बान-शान कहा जाता है. इसे लहरिया साफा भी कहा जाता है. लहरिया को लेकर ऐसा माना जाता है कि ये एक ऐसा शिल्प है, जो राजस्थान जैसे शुष्क राज्य के लोगों को उम्मीद देता है. वो उम्मीद या आशा जो पानी की ‘लहर’ अपने साथ लाती है. आपको इस साफे की खासियत के बारे में बताते हैं.

मल्टी कलर की लेयर 

लहरिया एक टाई-डाई तकनीक है. इसमें कपड़े पर मल्टी कलर की लेयर की जाती है. ये लेयर लहरों की तरह ही दिखाई देती है. आपको बता दें कि लहरिया एक जल-केंद्रित शिल्प है क्योंकि इसे बनाने में काफी मात्रा में पानी का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही इसे बनाने में काफी लंबे प्रोसेस का इस्तेमाल किया जाता है. 

सिरे पर डंडा 

इस कपड़े को बांधने के लिए सूती, पॉलिस्टर, नायलॉन, रेशम, जूट और एल्युमीनियम के गीले धागों की जरूरत होती है. साथ ही मुड्डा यानी लकड़ी के एक छोटे स्टूल का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके सिरे पर एक डंडा लगा होता है, जिससे कपड़े को बांधा जाता है.

नमक का होता है इस्तेमाल 

कपड़े को डाई करने के लिए इन्हें गर्म कलर मिक्सचर में डाला जाता है. इसमें नमक भी मिलाया जाता है. इसके बाद, कपड़े को अच्छी तरह से मोड़कर हल्के हाथों से पीटा जाता है. इससे रंग ज्यादा गहराई के धागों के अंदर तक जाता है. इसके बाद खूंटी की मदद से कपड़ से पानी को निकाला जाता है. कपड़ा सूखने के बाद, इसे खोलने के लिए उसके एक सिरे को पैर के अंगूठे में घुमाया जाता है. ऐसा गांठों के ढीले सिरों को खींचकर किया जाता है. इस तरह से लहरिया तैयार किया जाता है.

चिलचिलाती गर्मी में किया जाता है तैयार 

लहरिया ज्यादातर ब्रीजी यानी हवादार कपड़ों पर बनाया जाता है, जो राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी में महिलाओं की पसंदीदा फैब्रिक्स में माना जाता है. तीज और गणगौर जैसे त्योहारों के लिए महिलाएं समुद्र राजशाही लहरिया पहनती हैं. शरदपूर्णिमा के दौरान, वे हल्के गुलाबी रंग का लेहरिया पहनते हैं, जिसे मोठिया भी कहा जाता है.

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