Ambedkar Jayanti 2024: डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर, जिन्हें प्यार से बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से जाना जाता है, भारत के एक महान विद्वान, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे. वे भारतीय संविधान के जनक और दलित अधिकार आंदोलन के प्रेरणा स्त्रोत के रूप में जाने जाते हैं. भारतीय संविधान के जनक: डॉ. अंबेडकर को भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और संविधान के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों को लिखा, जैसे कि मौलिक अधिकार, निर्देशक सिद्धांत और संसदीय प्रणाली. डॉ. अंबेडकर ने जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ अपना जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और उन्हें समानता और न्याय दिलाने के लिए कई प्रयास किए. डॉ. अंबेडकर एक विद्वान और अर्थशास्त्री भी थे. उन्होंने अर्थशास्त्र, कानून और राजनीति विज्ञान पर कई किताबें और लेख लिखे. उन्होने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई. वे 1947 में स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में कानून मंत्री बने.
जीवन और उपलब्धियां
जन्म: 14 अप्रैल 1891, महू, मध्य प्रदेश
शिक्षा: उन्होंने एम.ए., एम.एससी., पीएच.डी., डी.एससी. और बार-एट-लॉ की उपाधियाँ प्राप्त कीं.
पेशा: विद्वान, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक
उल्लेखनीय कार्य: भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करना, जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ना, शिक्षा और सामाजिक न्याय के लिए वकालत करना, भारतीय श्रमिक वर्ग के अधिकारों के लिए लड़ना, बौद्ध धर्म अपनाना और दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित करना
डॉ. अंबेडकर 15 भाषाओं में प्रवीण थे. वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें किसी विदेशी विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि मिली. उन्होंने भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी और हिंदू कोड बिल का मसौदा तैयार किया, जिसने हिंदू विवाह, तलाक और उत्तराधिकार कानूनों में सुधार किया. 1990 में उन्हें मरणोत्तर भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया.
मृत्यु: 6 दिसंबर 1956, नई दिल्ली
अंबेडकर की विरासत
1. भारतीय संविधान: अंबेडकर को भारतीय संविधान का मुख्य शिल्पकार माना जाता है. उन्होंने संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और संविधान के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों को लिखा, जैसे कि मौलिक अधिकार, निर्देशक सिद्धांत और संसदीय प्रणाली. उन्होंने संविधान में सामाजिक न्याय, समानता और स्वतंत्रता के मूल्यों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
2. सामाजिक सुधार: अंबेडकर ने जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ अपना जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने दलितों और वंचित समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और उन्हें समानता और न्याय दिलाने के लिए कई प्रयास किए. उन्होंने अस्पृश्यता (छुआछूत) को गैरकानूनी घोषित करने और दलितों के लिए शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए काम किया.
3. शिक्षा और अर्थशास्त्र: अंबेडकर एक विद्वान और अर्थशास्त्री भी थे. उन्होंने अर्थशास्त्र, कानून और राजनीति विज्ञान पर कई किताबें और लेख लिखे. उन्होंने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली साधन माना और दलितों और वंचित समुदायों के लिए शिक्षा के अवसरों को बढ़ाने के लिए काम किया.
4. राजनीतिक नेतृत्व: अंबेडकर ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई. वे 1947 में स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में कानून मंत्री बने. उन्होंने संविधान सभा में दलितों और वंचित समुदायों के अधिकारों का प्रतिनिधित्व किया और उनकी आवाज को उठाया.
5. बौद्ध धर्म: 1956 में, अंबेडकर और उनके अनुयायियों ने बौद्ध धर्म अपना लिया. इस घटना को दलित बौद्ध आंदोलन की शुरुआत माना जाता है.
डॉ. अंबेडकर के विचार और कार्य आज भी प्रासंगिक हैं. वे भारत में सामाजिक न्याय, समानता और बंधुत्व के लिए संघर्ष के प्रतीक बने हुए हैं. डॉ. अंबेडकर को भारत के सबसे महान नेताओं में से एक माना जाता है. उन्होंने भारतीय समाज को बदलने और सभी नागरिकों के लिए समानता और न्याय स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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Source : News Nation Bureau