Ambedkar Jayanti 2024: अंबेडकर जयंति, जिसे भारतीय संविधान दिवस के रूप में भी जाना जाता है, डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर के जन्मदिन के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाता है. डॉ. अंबेडकर भारत के संविधान के शिल्पकार थे और उन्हें दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्गों और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनके संघर्ष के लिए जाना जाता है. 2024 में, अंबेडकर जयंति शुक्रवार, 14 अप्रैल को पड़ रही है. यह पूरे भारत में एक सार्वजनिक अवकाश है और इसे विभिन्न कार्यक्रमों और समारोहों के साथ मनाया जाता है. अंबेडकर जयंति भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है कि हम डॉ. अंबेडकर के योगदानों को याद करें और सामाजिक न्याय और समानता के उनके सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हों. डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महोबा में हुआ था. उन्हें भारत रत्न, देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 1992 में मरणोपरांत प्रदान किया गया था. भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था. अंबेडकर जयंति को 1956 में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया था.
अंबेडकर जयंति पर क्या करते हैं ?
झंडोत्तोलन समारोह: सरकारी कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर झंडे फहराए जाते हैं.
सेमिनार और कार्यशालाएं: डॉ. अंबेडकर के जीवन और कार्यों पर चर्चा करने के लिए सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं.
रैलियां और प्रदर्शन: दलित अधिकारों और सामाजिक न्याय के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए रैलियां और प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं.
पुस्तक प्रदर्शनी और पुरस्कार समारोह: डॉ. अंबेडकर के जीवन और कार्यों पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्शनी आयोजित की जाती हैं और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले लोगों को पुरस्कार दिए जाते हैं.
सांस्कृतिक कार्यक्रम: डॉ. अंबेडकर के जीवन और संदेशों को दर्शाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख रचनाकार थे और उन्होंने भारतीय समाज के लिए समानता, न्याय, और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी. अंबेडकर जयंति को भारत भर में उत्साह और उत्सव के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग उनके जीवन और कार्य को स्मरण करते हैं और उनके विचारों को याद करते हैं. विभिन्न स्थानों पर सेमिनार, शास्त्रीय पाठशाला, कवि सम्मेलन, और सामुदायिक सभाएं आयोजित की जाती हैं. अंबेडकर जयंति के दिन लोग उनके विचारों के प्रति समर्पित होते हैं और समाज में उनकी दिशा में नेतृत्व की भूमिका का महत्व जागरूकता फैलाते हैं. यह एक महत्वपूर्ण दिन है जब हम समाज में उनके संदेशों को आत्मसात करते हैं और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेते हैं.
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Source : News Nation Bureau