खुद से बातें करना भी क्या हो सकता है Mental Health के लिए फायदेमंद ? जानिए क्या है Self talk

जब कोई हमारे सामने होता है तो हम उसे अपने मन की बात बताते हैं, उन्हें इन सभी विचारों को बातों में बयां कर देते हैं. लेकिन जब कोई हमारे पास नहीं होता तो इंसान अक्सर ऐसे में खुद से बात करने लगते हैं, जिसको कहते हैं सेल्फ टॉक (Self Talk)

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Nandini Shukla
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खुद से बातें करना भी क्या हो सकता है Mental Health के लिए फायदेमंद ( Photo Credit : the good men project)

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Mental health : आजकल के समय में लोग जहां खुद को समय नहीं दे पा रहें हैं वहीं खुद के लिए भी सोचने का समय बहुत मुश्किल से निकाला जा रहा है. आजकल की बिजी लाइफस्टाइल में दो पल शांति के ढूंढ़ना बहुत मुश्किल है. जिंदगी दो पल की है और इसे अगर शांति और सुकून से जीया जाए तो वो दो पल भी बहुत खूबसूरत होते हैं. लेकिन आज की बिजी लाइफस्टाइल में ये होना असंभव हो गया है. कभी भविष्य की प्लानिंग, कभी पिछली कोई बात, कभी कहीं जाने से पहले की उत्सुकता आदि.

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कई बार ऐसा होता है कि जब कोई हमारे सामने होता है तो हम उसे अपने मन की बात बताते हैं, उन्हें इन सभी विचारों को बातों में बयां कर देते हैं. लेकिन जब कोई हमारे पास नहीं होता तो इंसान अक्सर ऐसे में खुद से बात करने लगते हैं, जिसको कहते हैं सेल्फ टॉक (Self Talk). कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक जब इंसान किसी बुरी या अच्छी चीज़ों से गुज़रता है तो वो खुद से बात करने लगता है लेकिन ज़रूरी ये है कि ये सेल्फ टॉक पॉजिटिव है या नेगेटिव. 

क्या है सेल्फ टॉक 

सेल्फ टॉक (Self Talk) में हमारे पॉजिटिव और नेगेटिव के वो विचार भी शामिल होते हैं जो अनजाने ही हमारे व्‍यवहार में शामिल हैं. उद्धारहण में 'ये कर सकता हुं फिर कैसा डर, में कर सकता हूं सब हैंडल कर लूंगा' जैसे कई पॉजिटिव विचार होते हैं. लेकिन कुछ सेल्‍फ टॉक नकारात्‍मक होते हैं जैसे, ‘मैं बुरी तरह से फंसने वाला हूं, मुझसे नहीं हो पाएगा, में हार गया हूं' आदि. नेगेटिव सेल्फ टॉक( Negetive Self Talk) मेन्टल और फिजिकल हेल्थ( Mental and Physical Health) के लिए हानिकारक हो सकता है. इंसान पूरी तरह से नेगेटिव हो जाता है और खुद का आत्मविश्वास खो देता है. 

कैसे पाएं इससे छुटकारा

नेगेटिव सेल्फ टॉक से छुटकारा पाया जा सकता है. सबसे पहले तो ऐसे निगेटिव सोच की पहचान करना सीखें और उन पर ध्यान देने से बचें. थोड़ा समय देकर आप खुद इनसे निपटने का तरीका ढ़ूंढ़ पाएंगे क्योंकि आपकी सोच को आपसे बेहतर कोई और नहीं समझ सकता है. जैसे की मी टाइम( Me Time). मी टाइम आपको अपने आप को पहचानने में मदद करता है. आप खुद के लिए समय निकाल पाते हैं.

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पॉजिटिव सेल्फ टॉक की प्रैक्टिस करें

अपने आप को नेगेटिव सेल्फ टॉक का शिकार बनाने से अच्छा है कि 'में ये सीख सकता हूं, में ये कर सकता हूं, सब हो जायेगा, ”आदि कहने की कोशिश करें. अपने आपको समय दें खुद को पहचाने और उसके बाद अपने लिए अपनी जिंदगी के लिए फैसले लें. क्योंकि कोई भी पल जिंदगी में हमेशा के लिए नहीं रहता. इसलिए इंसान को खुद के लिए सेल्फ टॉक पॉजिटिव या खुद के लिए मी टाइम निकालना बहुत ज़रूरी होता है. ताकि इंसान खुद को अच्छे से पहचान सके और तब आपको कोई भी नेगेटिविटी आपके ऊपर असर न कर पाएं. खुद के लिए समय निकालने से आप अपने ऑफिस में और बाहर की जिंदगी भी अच्छे से चला पाएंगे. 

 

HIGHLIGHTS-

  • क्या है सेल्फ टॉक ?
  • नेगेटिव सेल्फ टॉक मेन्टल और फिजिकल हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है.
  • आपकी सोच को आपसे बेहतर कोई और नहीं समझ सकता है.
  • मी टाइम आपको अपने आप को पहचानने में मदद करता है.
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