जब भी लोगों को आंखों से धुंधला या कम दिखाई देने लगता है या आखों में पानी आने लगता है तो उन्हें लगता है आंखों में कोई दिक्कत हुई होगी या बढ़ती उम्र का असर हो गया है. इतना ही नहीं बहुत कम ही लोग हैं जो आंखों की नजर कमजोर होने पर उसका असली कारण जानने की कोशिश करते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आंखों में होने वाली तकलीफ के पीछे डायबिटीज भी एक मुख्य कारण हो सकता है.
भारत में डायबिटीज के 7.7 करोड़ से ज्यादा मरीज
यही कारण है कि डायबिटीज से होने वाली दृष्टिहीनता (अंधापन) के मामलों में भी तेज बढ़त देखी गई है, हालांकि इसे रोका जा सकता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लगभग 1.1 करोड़ आबादी रेटिना रोग से पीड़ित हैं और इससे भी ज्यादा चिंताजनक ये है कि डायबिटीज के हर 3 मरीज में से 1 को किसी न किसी स्तर पर डायबिटिक रेटिनोपैथी है, जो आंखों को पूरी तरह से प्रभावित करती है. इस बीमारी की वजह से रेटिना के मुख्य हिस्से (मैक्यूला) में सूजन हो जाती है जिसे 'डायबिटिक मैकुलर एडिमा (Diabetic Macular Edema)' भी कहा जाता है. खासकर डायबिटिक रेटिनोपैथी कामकाजी उम्र के वयस्कों को ज्यादा प्रभावित करती है.
कैसे करें बचाव
डायबिटीज के कारण होने वाले रेटिना रोग को रोकने और सेहत दुरुस्त बनाए रखने के लिए समय-समय पर चेक-अप कराना बेहद जरूरी है.
टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोग डायबिटिक रेटिनोपैथी को लेकर संवेदनशील हैं, खासकर वो जो 10 साल से ज्यादा समय से डायबिटीज हैं.
टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित लोग भी अपनी दृष्टि खोने के कगार पर हैं, जिसका कारण डायबिटीज से होने वाली रेटिना बीमारी हैं.
डायबिटिक रेटिनोपैथी को रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन इस जोखिम को कम किया जा सकता है.
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नियमित रूप से आंखों की जांच
समय समय पर ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर लेवल की जांच
हालांकि ज्यादा गंभीर स्तर पर दृष्टिहीनता के जोखिम को रोकने के लिए इलाज की सिफारिश की जाती है
बीमारी के लक्षण
धुंधला दिखाई देना
रंगों को पहचानने में समस्या यानी रंग फीके दिखाई देना
विपरीत कॉन्ट्रास्ट
काला धब्बा नजर आना
आंशिक या पूर्ण दृष्टिहीनता
चीजों की पहचान में परेशानी
दोहरा या लहरदार दृष्टि
सावधानियां
विशेषज्ञों की राय जरूर लें
डायबिटिक रेटिनोपैथी का पता चलने के बाद सही से उपचार करवाएं
स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें
एक रिपोर्ट अनुसार, डायबिटीज के लगभग 70% मरीजों ने कभी भी डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए अपनी आंखों की जांच नहीं करवाई है जो अपने आप में चिंता का विषय है.