Holi 2023: इको फ्रैंडली होली मनाएंगे तो रहेंगे सेफ, आजमाएं ये खास टिप्स

होली खराब न हो इसके लिए इको फ्रैंडली और सेफ होली खेलनी चाहिए. वैसे तो पूरे देश में कई तरह से होली का त्योहार मनाया जाता है जिसमें लोग धूल-मिट्टी, राख से होली खेलते हैं.  

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Amita Kumari
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Eco Friendly Holi( Photo Credit : सोशल मीडिया)

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Holi 2023: रंगों का त्योहार इस साल 8 मार्च को मनाया जाएगा. हर साल पूरे देश में होली बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है. लोग इस समय के दौरान अपने प्रिय लोगों के साथ होली मनाने के लिए घरों से बाहर निकलते हैं और एक दूसरे को रंग-गुलाल में सराबोर कर देते हैं. हालांकि, कई बार केमिकल से भरे रंगों के कारण होली खराब हो जाती है. होली खराब न हो इसके लिए इको फ्रैंडली और सेफ होली खेलनी चाहिए. वैसे तो पूरे देश में कई तरह से होली का त्योहार मनाया जाता है जिसमें लोग धूल-मिट्टी, राख से होली खेलते हैं.  

होली अपने साथ पूरे भारत में मनाई जाने वाली कई रस्में भी लेकर आती है. जहां वाराणसी में श्मशान घाट की राख में रंग मिलाने और उससे खेलने की रस्म मनाई जाती है, वहीं देश के कई हिस्सों में होलिका दहन के राख में गुलाल मिलाकर होली मनाई जाती है. देश के कई हिस्सों में लोग मिट्टी और गोबर के साथ भी होली खेलते हैं. होली का त्योहार प्रकृति के करीब माना जाता है इसलिए लोग इसमें मिट्टी और फूलों का इस्तेमाल करते है. लेकिन, अब केमिकल भरे रंगों और गुलाल से कई बार यह त्योहार बदरंग हो जाता है. हालांकि अगर आप सुरक्षित और इको फ्रैंडली होली खेलते हैं तो इस त्योहार का मजा दोगुना हो जाएगा. 

होली को इको फ्रैंडली और सुरक्षित  मनाने के लिए जैविक और प्राकृतिक रंगों और गुलाल का उपयोग करने की सलाह दी जाती है, हालांकि, लोग अक्सर सिंथेटिक रंगों का उपयोग करते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं. सुरक्षित रहने और एक खुशनुमा त्योहार मनाने के लिए कुछ टिप्स और ट्रिक्स याद रखना महत्वपूर्ण है ताकि हम पर्यावरण के अनुकूल होली मनाएं. तो आइए हम आपको सुरक्षित होली मनाने के लिए कुछ टिप्स और ट्रिक्स बताते हैं.

प्राकृतिक रंग: रसायनों के साथ सिंथेटिक रंग त्वचा के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी खतरनाक हो सकते हैं. प्राकृतिक रंग घर पर तैयार किए जा सकते हैं और त्योहार मनाने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

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गुब्बारे और प्लास्टिक: होली खेलने के लिए पानी के गुब्बारों का इस्तेमाल किया जाता है. कभी-कभी रंगों को प्लास्टिक की थैलियों में डालकर प्रयोग किया जाता है. हालांकि, जश्न के बाद ये गुब्बारे और प्लास्टिक की थैलियां पर्यावरण के लिए खतरा बन जाती हैं. अत: इनसे बचना चाहिए.

पानी बचाएं: हमें गुलाल से होली खेलना चाहिए और पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए. यह त्योहार को मनाने और पर्यावरण को ठीक रखने का एक अच्छा तरीका है.

फूल: इस होली रंग या गुलाल की जगह एक-दूसरे पर फूल की पंखुड़ियां छिड़कें और त्योहार मनाएं. फूलों की पंखुड़ियों को धूप में सुखाकर भी पीसकर रंग बनाया जा सकता है, जिसे गुलाल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

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