धरती मां की कोख सूनी हो रही है! हर दिन-हर रोज प्राकृतिक संसाधनों में कमी का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. हमारे प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से अस्तित्व संकट में नजर आ रहा है. हमारी भावी पीढ़ी लगातार घटती इन ऊर्जा स्रोतों से कैसे निपटेगी, ये सवाल अब भी बरकरार है. ऐसे में इससे जुड़े तमाम मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, इनके विकास, कुशल उपयोग और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल आज के दिन यानि 20 अगस्त को अक्षय ऊर्जा दिवस (Akshay Urja Day) मनाया जाता है.
इस खास दिन का मकसद लोगों को पनबिजली, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायोगैस जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके उत्पन्न ऊर्जा स्रोतों के बारे में जागरूक करना है. ये खास दिन पहली बार साल 2004 में मनाया गया था. जब इस खास मौके पर तमाम अभियान आयोजित कर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के लाभों के बारे में आमजन को जागरूक किया गया था... तो आइये आज इसके इतिहास और महत्व पर गौर करें...
ये है इतिहास और महत्व
साल 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग की अवधारणा को आमजन तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ, इस खास दिन की शुरुआत की थी. इसके मद्देनजर उन्होंने भारतीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत (एमएनआरई) मंत्रालय के साथ मिलकर पूरे देशभर से 12,000 स्कूली बच्चे और आम जनता को एकजुट किया कर हरित और प्राकृतिक संसाधनों के कुशल उपयोग की भूमिका को प्रोत्साहित किया.
तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मकसद था, स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाली युवा पीढ़ी को पर्यावरण और इससे जुड़े दुष्प्रभावों की जानकारी अभियान के माध्याम से पहुंच सके. साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग की अवधारणा को लेकर भी उन्हें शिक्षित किया जाए, ताकि भावी पीढ़ी यूं लगातार घटती ऊर्जा स्रोतों के बारे में जागरूक रहे, साथ ही इससे निपटने के लिए भी तैयार रहे.
Source : News Nation Bureau