Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे. उनका कार्यकाल 1964 से लेकर 1966 के बीच चला. ये करीब 18 महीनों की सरकार थी. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनके स्कूल मास्टर थे लेकिन उनकी मौत जब हुई उस वक्त शास्त्री जी मात्र 1.5 साल के थे. उनका पालन पोषण उनकी माता जी ने की. उन्होने देश के विकास में कई महत्तवपूर्ण बदलाव किए. उनके इस अहम योगदान के लिए मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उन्होने 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया.
शास्त्री जी सादगी और ईमानदारी कि मिसाल थे. बात साल 1965 की है. भारत 1962 में चीन से अपनी जंग हार चुका था. ऐसे में भारत एक और युद्ध नहीं लड़ सकता था. लेकिन युद्ध थोपे जाने से वो बिल्कुल डर नहीं और सेना को जंग लड़ने का आदेश दिया. इसके बाद फिर क्या था. भारतीय सेना इस प्रकार लड़ी की पाकिस्तान के पसीने छुट गए. पाकिस्तानी सेना दुम दबाकर भागी. भारतीय सेना का आलम ये था कि वो लाहौर तक पहुंच गए थे और इसे कब्जा करने की तैयारी कर चुके थे. लेकिन इसी बीच अंतराष्ट्रीय समुदाय के दबाव के आगे झुकना पड़ा.
ताशकंद में रहस्यमयी मौत
अमेरिका सहित कई देशों की दबाव को नहीं झेल पाए और समझौते के लिए रूस की राजधानी ताशकंद पहुंच गए. कहा जाता है कि शास्त्री जी कि पत्नी ने ये यात्रा नहीं करने की सलाह नहीं दी लेकिन वो इन सब को दरकिनार कर ताशकंद पहुंचे और यहां उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे जंग का युद्धविराम समझौते पर साइन किए. इसके कुछ ही घंटे के बाद 11 जनवरी 1966 को लाल बहादुर शास्त्री जी की एक रहस्यमयी मौत हो गई. हलांकि मौत के कारणों को अभी तक पता नहीं चला है.
लोगों से की अपील
जब देश में अनाज की कमी हुई थी तो लोगों से सप्ताह में एक दिन उपवास करने की अपील की. हलांकि इसकी शुरुआत उन्होंने सबसे पहले अपने परिवार से की. लोगों ने इस अपील का समर्थन किया और हफ्ते में एक दिन उपवास करना शुरू की. हलांकि छोटे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्ति को इस दायरे से बाहर रखा. इस अपील का असर इस तरह था कि देश में होटल में भी एक दिन के लिए खाने की सर्विस बंद होती थी. ये कोई कानूनी आदेश नहीं था. लोगों ने देश की भलाई के लिए इस अपील का पूरजोर समर्थन किया.
Source : News Nation Bureau