अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए महिलाओं को ही ज्यादा जतन करने पड़ते हैं. क्योंकि उनके पास कई विकल्प होते हैं, लेकिन पुरुषों के पास कंडोम या फिर नसबंदी का ही सहारा होता है. अमूमन पुरुष इसका ज्यादा प्रयोग नहीं करते. लेकिन वैज्ञानिकों ने पुरुषों के लिए नई खोज की है. जिसके जरिए पुरुष सेक्स लाइफ को इंज्वाय करतेहुए बर्थ कंट्रोल कर सकेंगे. यह खोज चीन में की गई है. यहां के वैज्ञानिकों ने बर्थ कंट्रोल करने का नया और सुरक्षित तरीका निकाला है. चीन के वैज्ञानिकों ने पुरुषों के लिए एक ऐसी गर्भनिरोधक तरीका खोजा है जो सुरक्षित और टिकाऊ कहा जा रहा है.
अमेरिका की पत्रिका नैनो लेटर्स में वैज्ञानिकों ने बताया है कि उन्होंने पुरुषों के लिए रिवर्सिबल चुंबकीय बायोडिग्रेडेबल नैनोमेटेरियल्स विकसित किये हैं. ये कम से कम 30 दिनों तक गर्भनिरोधक का काम करते हैं. इसका परिक्षण चूहों पर किया गया, जो सफल रहा. अब पुरुषों पर करने की तैयारी की जा रही है.
वैज्ञानिकों की मानें तो हाई टेम्परेचर पर स्पर्म का प्रोडक्शन नहीं हो पाता है. इसका प्रयोग नर चूहों की बाहरी स्किन पर किया गया. इसके पहले के सारे शोध तेज तापमान पर नैनोमेटेरियल्स पर किए गए थे जिन्हें बर्थ कंट्रोल के रूप में इंजेक्शन के तौर पर चूहों को दिया गया था.
ये प्रक्रिया बेहद ही दर्दनाक थी, इसके साथ ही स्किन को भी बेहद नुकसान हुआ था. ये नैनोमेटेरियल्स बायोडिग्रेडेबल भी नहीं थे. मतलब प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाले नहीं थे. जिसके बाद वैज्ञानिकों ने नये तकनीक का इस्तेमाल किया.
वैज्ञानिकों ने बायोडिग्रेडेबल आयरन ऑक्साइड नैनोपार्टिकल्स के दो रूपों का परीक्षण किया. इन्हें चुंबक के साथ लगाकर गर्म किया जा सकता है. एक नैनोपार्टिकल पर पॉलीइथाइलीन ग्लाइकॉल और दूसरे पर साइट्रिक एसिड की लेप लगाई गई थी.
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वैज्ञानिकों ने देखा कि पॉलीइथाइलीन ग्लाइकॉल नैनोपार्टिकल को उच्च तापमान पर गर्म किया जा सकता है, लेकिन साइट्रिक एसिड की तुलना में इसे आसानी से तोड़ा-मरोड़ा नहीं जा सकता है. जिसके बाद वैज्ञानिकों ने दो दिनों तक चूहों को साइट्रिक एसिड-लेपित नैनोपार्टिकल की इंजेक्शन कई बार दी. इसके बाद चुंबक के साथ इसका प्रयोग किया गया. टेस्ट करने के बाद सभी नैनोपार्टिकल्स पर 15 मिनट के लिए वैकल्पिक चुंबक लगाया गया. इसके बाद शोधकर्ताओं ने इसे 104 डिग्री फारेनहाइट के तापमान तक गर्म किया.
शोधकर्ताओं ने पाया कि इस प्रयोग में चूहों के शुक्राणुजनन लगभग 30 दिनों के लिए सिकुड़ गए. इसके बाद धीरे-धीरे इनके स्पर्म प्रोडक्शन में सुधार आने लगा. मतलब 30 दिन बाद सिकुड़ गए स्पर्म फिर से अपने असली रूप में आने लगे. इस प्रयोग में देखा गया कि इस तकनीक के इस्तेमाल करने के सातवें दिन से मादा चूहों की प्रेग्नेंसी रूक गई. 60वें दिन इन मादा चूहों की प्रेग्नेंसी क्षमता वापस आने लगी.
आप सोच रहे होंगे कि यह तो शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि ये नैनोपार्टिकल्स कोशिकाओं के लिए हानिकारक नहीं हैं और इन्हें आसानी से शरीर से बाहर निकाला जा सकता है.
मतलब यह पुरुषों के लिए अच्छा विकल्प साबित होसकता है. इसकी डिजाइन इस तरह की जा रही है कि इसका असर कुछ दिनों के बाद अपने आप ही खत्म हो जाए. इसके अलावा बायोडिग्रेडेबल की वजह से ये अपने आप नष्ट भी हो जाएगा. बर्थ कंट्रोल के लिए इसे बस एक या दो महीने तक हीट करने की जरूर होगी.
Source : News Nation Bureau