मां-बाप अपने बच्चों को बचपन से ही संस्कार देना शुरू कर देते है. जिसमें बड़ों के पैर छूना, उन्हें नमस्ते करना, तमीज से बात करना वगैराह शामिल है. मां-बाप ऐसा इसलिए करते है ताकि उनके बच्चे बचपन से ही ये सब सीख जाएं जिससे कि बड़े होने तक उनमें ये संस्कार (indian parenting tips) बने रहे. ये संस्कार देने के चलते मां-बाप ये भूल जाते है कि बच्चों को संस्कार (parenting tips) देने के अलावा भी और भी कई बाते सिखानी जरूरी होती है जो आगे चलकर उनके काम आएंगी.
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बच्चों को सेविंग्स और इंवेस्टमेंट्स का महत्व समझाना बहुत जरूरी होता है. जहां ये बात सच है कि मां-बाप बच्चों को पिगी बैंक देते है. वहीं उन्हें अपने बच्चों को सेविंग्स के बारे में भी समझाना चाहिए. जैसे-जैसे वो बड़े होते है, ये बहुत जरूरी होता है कि उन्हें इंवेस्टमेंस्ट के तरीकों और सेविंग ऑप्शन्स (easy parenting tips) के बारे में समझाया जाए.
मां-बाप (parenting tips for indian parents) को अपने बच्चों को sex education के बारे में जानकारी देनी चाहिए. क्योंकि ज्यादातर इंडियन बच्चे सेक्स (sex) के बारे में पॉर्न देखकर या अपने दोस्तों से बात-चीत के दौरान जानते है. जो एक बहुत ही गलत तरीका है. ऐसा करना उनके लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इससे वो कंसेंट, कॉन्ट्रासेप्शन और सेक्स के जरूरी ऑस्पेक्ट्स को नहीं समझ पाते.
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बच्चों को gender stereotypes समझाएं और वो क्यों नुकसानदायक होता है. कई लोग ये ही मानसिकता बनाए रखते है कि लड़कियां सिर्फ किचन सेट से ही खेलेंगी जबकि लड़के साइकिल चलाएंगे. अगर बच्चों को बचपन से ही ऐसी बातें सुनाई देती रहती है तो बड़े होकर भी वो ये बात नहीं भूलते. जिससे लड़कियों के फ्यूचर पर गलत असर पड़ता है. इसलिए, ये बहुत जरूरी है कि इन बातों को बच्चों को नहीं सिखाना चाहिए क्योंकि हम 2021 में जी रहे है. जहां ऐसे लोगों की सोच बदलनी जरूरी है.
अपने लड़की को छोटी स्कर्ट पहनने से मना करने या लेट नाइट बाहर जाने से मना करने के बजाय, उन्हें सेल्फ-डिफेंस की ट्रेनिंग दिलानी चाहिए. जिससे वो खुद की रक्षा कर सके. मां-बाप संस्कार देना याद रखते है लेकिन कई बार इन छोटी बातों पर गौर करना भूल जाते है. दुनिया में ऐसे कई लोग है जिन्हें खुद का बचाव करना नहीं आता क्योंकि ये हमारी रोजाना की ट्रेडिशनल अकेडमिक लर्निंग का हिस्सा नहीं होती. लेकिन, ये स्किल्स हमारी डेली लाइफ में बहुत जरूरी है खास तौर से जिस सोसाइटी में हम रह रहे है वहां के लिए.
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आजकल के पेरेंट्स का ध्यान बस इसी बात पर रहता है कि किस तरह से बच्चों को ड्रिंक और स्मोक करने से रोका जाए. वे उन पर स्ट्रिक्ट रूल्स भी थोपते है. कई पेरेंट्स यही सोचते है कि उनके बच्चे स्मोक और ड्रिंक नहीं करते जिसकी वजह से यंगस्टर्स अपनी चॉइसिज के परिणाम जाने बिना ही बड़े होते है. इसकी बजाय पेरेंट्स को बच्चों के साथ एक हेल्दी डिसकशन करना चाहिए ना कि उन्हें डांटना चाहिए.