Pongal Date 2024: दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है पोंगल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. खासतौर पर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में इसका जश्न देखने वाला होता है. बता दें कि ये पर्व भी बिलकुल मकर संक्रांति की तरह ही सूर्य के उत्तरायण का त्योहार है. इस वक्त फसल की कटाई होती है, जिसके मद्देनजर जमकर खुशियां मनाई जाती हैं. बता दें कि इस त्योहार का पौराणिक महत्व भी है. दरअसल पोंगल का नाम एक पौराणिक किस्से से आया है, जिसमें भगवान शिव ने अपनी गाय को एक बूंद अर्पित की थी, जिससे त्योहार का नाम 'पोंगल' हुआ. चलिए जनते हैं इससे जुड़ी 10 रोचक बातें...
पौराणिक महत्व: पोंगल का नाम एक पौराणिक किस्से से आया है, जिसमें भगवान शिव ने अपनी गाय को एक बूंद अर्पित की थी, जिससे त्योहार का नाम 'पोंगल' हुआ.
मीठा पोंगल: पोंगल के प्रमुख भोजन में 'मीठा पोंगल' शामिल है, जो चावल, जगरी, घी, और मूंग दाल से बनता है.
मकर संक्रांति के साथ सम्बंध: पोंगल त्योहार को मकर संक्रांति के साथ मनाया जाता है, जो सूर्य की देवता की पूजा के लिए जाना जाता है.
जले किचन की रचना: त्योहार के दौरान लोग नए चुल्हे का उद्घाटन करते हैं, जिसे 'जले किचन' कहा जाता है, और वहां पर पोंगल बनाते हैं.
जल कूड़ा (कूंड़ा): पोंगल बनाने के लिए जल कूड़ा (कूंड़ा) इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें पानी उबाला जाता है और चावल और दाल को उबाला जाता है.
कोलम रंगों की सजावट: त्योहार के दौरान, घरों के बाहर कोलम बनाने का परंपरागत रूप से अनुसरण किया जाता है, जिसमें रंगों की सजावट होती है.
मट्टी की पत्तियां: पोंगल के दौरान, घरों की दीवारों और द्वारों पर मट्टी की पत्तियां लगाई जाती हैं, जिससे घर को सौंदर्यपूर्ण बनाया जाता है.
दान और धर्म: पोंगल का त्योहार दान और धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें लोग दरिद्रों को भोजन और आवश्यक सामग्री देते हैं.
गोवर्धन पूजा: कुछ स्थानों पर, पोंगल के दिन गोवर्धन पूजा भी की जाती है, जिसमें गौवंश की पूजा और गौशाला में दान किया जाता है.
कन्नु पोंगल और मत्स्य पंडिगई: त्योहार के इस दौरान लोग 'कन्नु पोंगल' और 'मत्स्य पंडिगई' भी बनाते हैं, जो स्वादिष्ट और परंपरागत होते हैं.
पोंगल एक रंगीन और उत्साहभरा त्योहार है जो भारतीय सांस्कृतिक के महत्वपूर्ण हिस्से को दर्शाता है.
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Source : News Nation Bureau