आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे से लिंक हैं, कैसे? मान लीजिए कि अगर आप किसी भी तरह की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई भी परेशानी से जूझ रहे हैं, तो इसका असर आपके शरीर पर भी नजर आने लगेगा. इस स्थिति को मेडिकल भाषा में साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर बोला जाता है, यानि की वो डिसऑर्डर, जिसमें मनोवैज्ञानिक स्थितियों के दौरान शारीरिक लक्षण दिखाई देते हैं. ऐसे में कई बार मनोवैज्ञानिक स्थितियों के शारीरिक लक्षण को देखते हुए इन्हें शारीरिक समस्या मान लिया जाता है, जिस वजह से इस तरह के साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर का निदान नहीं हो पाता. इसलिए इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए आइये साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर से जुड़ी कुछ ऐसी समस्याओं को जानें, जिन्हें अक्सर शारीरिक समस्या मान लिया जाता है.
पहले जान लें कि साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर काफी आम हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक ये करीब 5 से 7 फीसदी लोगों में हो सकता है. इनमें भी कुछ शोध पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इस तरह के डिसऑर्डर का ज्यादा जोखिम होना बताते हैं. हालांकि ये किसी भी उम्र या व्यक्ति को हो सकता है.
शरीर पर इसका असर?
साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर शरीर के किसी एक हिस्से तक सीमित नहीं है, बल्कि ये शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं. वहीं संभव है कि साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर के लक्षण लंबे समय तक बने रह सकते हैं, ऐसे में सामान्य उपचार के बजाए डॉक्टर की सलाह ज्यादा कारगर साबित होगी. आइये देखते हैं शरीर पर पड़ने वाले इसके क्या-क्या असर हैं.
ये हो सकते हैं असर: थकान-अनिद्रा, मांसपेशियों में दर्द या पीठ दर्द, उच्च रक्तचाप की समस्या, सांस लेने में तकलीफ, अपच- अक्सर पेट खराब रहना, सिरदर्द और माइग्रेन, नपुंसकता की समस्या, पेट के अल्सर.
वहीं एक और बात पर गौर करें कि अगर आपको किसी तरह की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हैं, तो ब्लड प्रेशर बढ़ने की दिक्कत संभावित है. मेडिकल की भाषा में अगर समझें तो जब शरीर तनाव ग्रस्त होता है तो हार्मोन्स का असंतुलन हो सकता है, जिसका असर हृदय पर पड़ता है और वो तेजी से धड़कने लगता है, साथ ही रक्त वाहिकाएं संकरी हो जाती हैं. इससे हमारे ब्लड का प्रेशर बढ़ जाता है. ऐसे में कोशिश करें की जितना हो सके अपना और अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें, बावजूद इसके अगर किसी भी तरह की कोई परेशानी पेश आती है तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें.
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