Shaheed Diwas 2024: राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख शहीद हैं. इन्हें भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के हीरों के रूप में स्मरण किया जाता है. ये तीनों युवा क्रांतिकारी थे जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशक्त आंदोलन में भाग लेते थे. उनका मुख्य उद्देश्य था भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना. इनकी अमर शहादत ने देश को नया जीवन और ऊर्जा प्रदान की. उनकी साहसी और निष्ठावानी जीवनी आज भी हमारे देशवासियों को प्रेरित करती है. भारतीय इतिहास में, उनकी शहादत को विशेष महत्व दिया जाता है और उन्हें देश के शौर्यपूर्ण वीरों के रूप में याद किया जाता है.
क्यों दी गयी था फांसी
राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव को फांसी 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में दी गई थी. उन्हें फांसी दिए जाने के मुख्य कारण के बारे में कम लोग जानते हैं. सांडर्स हत्याकांड के बारे में सबसे पहले जानना चाहिए. 17 दिसंबर 1928 को, भगत सिंह और राजगुरु ने लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन सांडर्स की हत्या कर दी थी. यह हत्या लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए की गई थी, जिनकी पुलिस लाठीचार्ज में मृत्यु हो गई थी. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव HRA के सदस्य थे. HRA ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए एक क्रांतिकारी संगठन था.
8 अप्रैल 1929 को, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली में केंद्रीय विधानसभा में बम फेंका था. यह बम किसी को नहीं मारा, लेकिन यह ब्रिटिश सरकार के लिए एक चुनौती थी. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव कई अन्य क्रांतिकारी गतिविधियों में भी शामिल थे. ब्रिटिश सरकार उन्हें खतरा मानती थी और उन्हें खत्म करना चाहती थी.
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी के लिए ब्रिटिश सरकार पर बहुत राजनीतिक दबाव था. कई भारतीयों ने उनकी फांसी की सजा का विरोध किया था, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा. राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव को फांसी दिए जाने से भारत में स्वतंत्रता आंदोलन को बहुत बड़ा झटका लगा. लेकिन, उनके बलिदान ने भारतीयों को प्रेरित किया और स्वतंत्रता आंदोलन को और मजबूत बनाया. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिए जाने के कई अन्य कारण भी थे.
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Source : News Nation Bureau