यूं तो हमारे शरीर में हर एक अंग का अपना अलग ही महत्व है लेकिन हमारे शरीर में दिल का स्थान सबसे खास होता है. सारे शरीर में खून भेजने का काम दिल ही करता है. दिल यानी हृदय का काम इतना खास है तो इसे रोगों से दूर रखने के लिए हमारी भी खास जिम्मेदारी बनती है. दिल यानी हृदय का इतना महत्वपूर्ण होना तो हम सब समझते हैं लेकिन क्या इसको स्वस्थ रखने के लिए हम कुछ उपाय करते हैं, शायद अधिकतर लोगों का जवाब होगा नहीं. आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अनियमित दिनचर्या की वजह से 30 से 40 वर्ष की उम्र में ही बहुत सारे दिल के रोग होने लगते हैं. यह समस्या इतनी आम हो चुकी है कि हर परिवार में कोई ना कोई इस समस्या का शिकार है. यहां तक की छोटे बच्चे भी इस बीमारी से अछूते नहीं बचे हैं.
भारत जैसे देश में आज दिल के रोगियों की संख्या बहुत अधिक संख्या में बढ़ती जा रही है इसकी मुख्य वजह आधुनिक जीवन शैली खराब लाइफ़स्टाइल, बैड फूड हैबिट, तनाव चिंता आदि हैं. दुनिया में दिल के रोग, मृत्यु और विकलांगता के बहुत बड़ा कारण हैं. दिल के रोगों में सबसे बड़ा रोग दिल का दौरा है, जिसे हृदयाघात या हार्ट अटैक भी कहा जाता है. दिल का दौरा अचानक से और किसी भी समय पर पड़ सकता है. दिल के दौरे के खतरनाक होने का स्तर किसी भी व्यक्ति पर असर उसके इम्यूनिटी पावर के ऊपर भी निर्भर करता है. दिल के दौरे से पहले हमारा शरीर बहुत सारे संकेतों से हमें इशारा करता है.
दिल के दौरे के लक्षणों में से प्रमुख हैं- सीने में तकलीफ या दर्द, सीने में जकड़न. इसके अलावा गर्दन, जबड़े या पीठ में दर्द, ठंडा पसीना, जी मिचलाना, सांसों की कमी और थकान. इनमें से कोई भी लक्षण आपको मालूम पड़ते हैं तो आप अपने दिल के प्रति जागरूक बन जाइए. वहीं, अगर आप लाइफ स्टाइल को ठीक करेंगे तो हार्ट अटैक से बच सकते हैं. इस मामले में योग एवं आयुर्वेद के एक्सपर्ट निकेत सिंह ने बताया कि हार्ट अटैक से बचने के लिए बहुत सारे उपाय हैं. इसके लिए सबसे पहले अपनी लाइफ स्टाइल को दुरुस्त बनाना पड़ेगा. साथ ही साथ खानपान में बहुत ही अधिक सिलेक्टिव बनना पड़ेगा. जो भी चीजें दिल के स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं हैं उन चीजों से परहेज रखना पड़ेगा. मसालेदार भोजन, जंक फूड, मैदे के बने फूड, बांसी तला भुना और असमय भोजन. इन सब चीजों से परहेज रखना पड़ेगा.
निकेत सिंह ने बताया कि कुछ आसन और प्राणायाम अपनाएं तो हार्ट अटैक की संभावना बहुत कम हो जाती है. नियमित योगाभ्यास और प्राणायाम यदि दिल की बीमारी से आशंकित कोई व्यक्ति प्रतिदिन योग व्यायाम करने लगता है तो उसे हृदय रोग का खतरा 80 से 90% कम हो जाता है. इसके लिए शशांक आसन, धनुरासन, ताड़ासन, कटिचक्रासन, वज्रासन, सूर्य नमस्कार जैसे आसनों को अपनाना चाहिए. इसके अलावा अनुलोम विलोम, चंद्र भेदन, नाड़ी शोधन, भ्रामरी और शीत प्राणायाम इसमें बेहद लाभप्रद हैं. अंगुलियों से कुछ मुद्रा भी रोज बनाएं. दरअसल, दो अंगुलियों को आपस में स्पेशल डिजायन में मिलाने को मुद्रा कहा जाता है. ऐसी ही एक मुद्रा है जिसका नाम है अपान वायु मुद्रा. इसे हृदय मुद्रा भी कहते हैं. इसमें अपने बाएं हाथ की हथेली के अंगूठे के पास वाली उंगली की ऊपर वाले हिस्से को अंगूठे की जड़ में लगाते हैं. छोटी उंगली को छोड़कर बाकी बची दोनो उंगलियों को अंगूठे के अगले हिस्से से धीरे से मिला देते हैं. इस तरह से हृदय मुद्रा बनती है. यदि किसी को कभी भी एक भी बार दिल का दौरा पड़ा है तो इसे नियमित तौर पर लगातार एक बार में 30 से 45 मिनट लगाए रखने पर बहुत ही अधिक चमत्कारिक प्रभाव दिखाता है.
वहीं, आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कफ की अधिकता के कारण दिल के रोग होते हैं. कफ बढ़ने से शरीर में मेद यानी कोलेस्ट्रॉल की अधिकता हो जाती है जो हमारे रक्त वाहिनी को दबाव देती है. रक्त का संचालन ठीक से नहीं हो पाता इसलिए कफ से बचने के लिए ठंडी मीठी और खट्टी चीजों का सेवन कम करना चाहिए. खाने में दालचीनी, मेथी दाना, सेब, रसदार फल, आंवला, लौकी का रस जैसी घरेलू चीजों के नियमित सेवन से हम हृदय के दौरे से काफी हद तक बच सकते हैं.