क्रिसमस (christmas 2021) हर साल 25 दिसंबर (christmas on 25 december) को मनाया जाता है. ये तो सबको पता है. इस दिन को पूरे इंडिया में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. ये दिन ईसाई धर्म के फाउंडर प्रभु ईशु के बर्थडे के रूप में मनाया जाता है. आज के टाइम में ईसाई धर्म के साथ-साथ दूसरे रीलिजन के लोग भी इस फेस्टिवल को सेलिब्रेट करने लगे है. क्रिसमस (christmas gifts) आते ही लोगों को केक, क्रिस्मस ट्री, रंग बिरंगी डेकोरेशन वगैराह का ख्याल आता है. छोटे बच्चों को बस संता क्लॉज याद आता है. इस दिन बच्चों को ये लगता है कि संता क्लॉज आएंगे और उनके लिए गिफ्ट्स लेकर आएंगे. पर ऐसा सोचने के पीछे भी एक कहानी है.
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तो चलिए, आपको इस दिन की कहानी बताते है कि आखिर सबको क्रिस्मस पर संता क्लॉज (santa clause gifts) का इंतजार क्यों रहता है. तो कहानी ऐसी है कि चौथी शताब्दी में एशिया माइनर में मायरा नाम की एक जगह थी. जो कि अब तुर्की में है. यहां पर संता निकोलस नाम का एक आदमी रहता था. सेंट निकोलस के पास बहुत पैसा था. लेकिन, बचपन में ही उसके माता-पिता की मौत हो चुकी थी. सेंट निकोलस बहुत दयावान आदमी था. उसे प्रभु ईशु में भी बहुत आस्था थी. निकोलस अक्सर ही बिना बताए जरूरतमंद लोगों की मदद किया करता था. वह एक दम चुपके से जाकर लोगों को गिफ्ट्स दे देता था. गिफ्ट्स (story behind christmas gifts) को अचानक देखकर लोग खुश हो जाते थे.
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एक बार संता निकोलस (sant nikolas story) को पता चला कि एक गरीब आदमी की तीन बेटियां है. उस आदमी के पास शादी के लिए पैसे नहीं है. ये बात जानने के बाद निकोलस ने उस शख्स की मदद करने की सोची. वह रात को उस आदमी के घर की छत में लगी चिमनी में से सोने से भरा बैग नीचे डाल गया. उस दौरान इस गरीब शख्स ने अपना मोजा सुखाने के लिए चिमनी में लगाया हुआ था. उस आदमी ने देखा कि इस मोजे में अचानक सोने से भरा बैग उसके घर में गिरा है और ऐसा एक नहीं तीन बार हुआ. उस आदमी ने आखिरी में निकोलस को ऐसा करते हुए देख लिया. निकोलस ने उससे कहा कि ये बात वो किसी को न बताए, लेकिन फिर भी ये बात चारों ओर फैल गई. तब से जैसे ही किसी को अचानक से कोई गिफ्ट मिलता तो उसे लगता की संता क्लॉज ने दिया है. कहा जाता है कि इसी के बाद से क्रिसमस के दिन गिफ्ट देने का रिवाज शुरू हो गया.