आजकल बुजुर्गों पर ध्यान नहीं देना, पोते-पोतियों द्वारा उन्हें ओल्ड एज होम में छोड़ देना जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं. खासतौर से छोटे बच्चे ये जानते ही नहीं कि बड़े-बुजुर्ग हमारे परिवार और समाज का कितना अहम अंग हैं. इसी कारण बुजुर्गों में डिप्रेशन, अकेलापन फील करने की समस्या बढ़ रही है. घर में दादा-दादी अक्सर पोते-पोतियों की इग्नोरेंस झेलते हैं. वहीं, मोहल्ले और पास-पड़ोस के बुजुर्गों को तो बच्चे बिल्कुल ही बोझ समझने लगे हैं. ऐसे में बहुत जरूरी है कि समाज में बुजुर्गों को सही स्थान मिले. खासतौर से भारत जैसे देश में जहां माता-पिता को भगवान की तरह पूजा जाता है और बुजुर्गों का आदर करना यहां की सनातन शिक्षाओं में शामिल रहा है, वहां बुजुर्गों की बेअदबी बहुत चिंता का विषय है. ऐसे में परिवार में कुछ चीजों का ध्यान रखकर हम बच्चों के सिखा सकते हैं कि बुजुर्गों को सम्मान कैसे दें.
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1. बच्चों के सामने बुजुर्गों के पैर छुएं, नमस्ते करें और रोज उनकी परेशानियां पूछें. इससे बच्चें भी यह चीजें सीखेंगे. आमतौर पर माता-पिता बच्चों से कह तो देते हैं बुजुर्ग लोगों को नमस्ते करने के लिए लेकिन जब माता-पिता खुद घर के या आसपड़ोस के बुजुर्ग लोगों पर ध्यान देंगे और केयर करेंगे तो बच्चों पर डीप इफेक्ट पड़ेगा. बच्चों की दिनचर्या में खुद ब खुद यह चीज शामिल हो जाएगी.
2. खाने की टेबल पर साथ बैठाएं और घर के बुजुर्गों की पसंद को प्राथमिकता दें. अक्सर घरों में बच्चों की जिद तो पूरी हो जाती है लेकिन बुजुर्ग लोग क्या चाहते हैं, इस पर परिवार ध्यान नहीं देता. हफ्ते में कम से कम एक-दो दिन ऐसे भी रखें जब खाना बुजुर्गों के हिसाब से खाना बनाएं. इससे बच्चों पर साइकोलॉजिकल इफेक्ट पड़ेगा और उन्हें लगेगा कि घर में दादा-दादी का भी महत्व है. अगर मोहल्ले में भी कोई बुजुर्ग दंपति अकेली रहती हो तो हफ्ते में उन्हें एक दिन खाने पर बुलाएं. ध्यान रखें घर के बच्चे और बुजुर्ग एक साथ ही खाना खाएं.
3. बुजुर्गों ने जो काम किए, उसका महत्व, त्याग और योगदान बच्चों से शेयर करें. खासतौर से दादा-दादी ने किन मुश्किल परिस्थितियों को झेला वह बच्चों से शेयर करें. अगर मोहल्ले में भी कोई बुजुर्ग हों तो उनकी जिंदगी के बारे में पता कर बच्चों के बताएं. इससे बच्चों के मन में बुजुर्गों के प्रति सम्मान बढ़ेगा.
4. घूमने जाते वक्त बुजुर्गों को भी लेकर जाएं. अक्सर परिवार में घूमने का कार्यक्रम बनता है तो बुजुर्गों को घर पर छोड़ दिया जाता है. ये बहुत जरूरी है कि कभी-कभी घर के बुजुर्ग भी साथ चलें. अगर सिंगल फैमिली में रहते हैं तो आसपड़ोस के बुजुर्ग लोगों संग किसी शाम पार्क में टहलने जाएं और साथ में बच्चों को भी रखें. घर में बुजुर्ग के साथ यदि स्वास्थ्य समस्या है तो कम से कम बच्चों के सामने उनसे चलने के लिए पूछें बेशक वह मना कर दें.
Source : News Nation Bureau