मौसम बदल रहा है और नये मौसम में तमाम चीजें नई आने के साथ ही अब बाजार में आने वाला है अमरुद. आमतौर पर नवंबर अंत तक यह बाजार में आ जाता है. आम, बेशक फलों का राजा कहलाता हो लेकिन सर्दियों में तो अमरुद को फलों का राजा मान लिया जाता है. इसकी वजह है अमरुद के लाभ. अमरूद को आयुर्वेद में अमृत नाम से जाना जाता है क्योंकि इसके गुण अमृत के समान ही हैं. आयुर्वेद के अनुसार अमरूद फल कच्चा और दोनों प्रकार से उपयोग में लाया जाता है.
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सर्दी के मौसम में अमरूद खाना बेहद गुणकारी होता है. भारत में लगभग हर घर में अमरूद खाया जाता है. अमरूद मूलतः भारतीय फल है. इसे जामफल भीं बोला जाता है. योग एवं आयुर्वेद एक्सपर्ट निकेत सिंह के अनुसार आयुर्वेद के अनुसार अमरूद फल का गुण दोष अमरूद फल स्वाद में मधुर( मीठा) होता है. यह बहुबीजीय फल है यानी एक फल में कई बीज होते हैं. आयुर्वेद के अनुसार अमरूद शीतल प्रकृति का होता है और कफ दोष युक्त होता है. बीजों के कारण अमरूद में फाइबर की मात्रा अधिक होती है.
आयुर्वेद के अनुसार अमरूद खाने के लाभ -
- आयुर्वेद एक्सपर्ट निकेत सिंह ने बताया कि अमरूद में माताओं में दूध बढ़ाने वाले वाले गुण होते हैं. इसके अलावा मल को रोकने वाले, पौरुष बढ़ाने वाले, शुक्राणु बढ़ाने वाले और दिमाग को स्ट्रांग बनाने की भी क्वालिटी होती है.
- अमरूद का औषधीय गुण प्यास को शांत करता है और हृदय को बल देता है. कृमियों का नाश करता है, उल्टी रोकता है, पेट साफ करता है और कफ निकालता है. मुंह में छाले होने पर मस्तिष्क एवं किडनी के संक्रमण, बुखार, मानसिक रोगों तथा मिर्गी आदि में इसको खाना लाभदायक होता है. अमरूद बलकारक, पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक, शीतल गुणों से भरपूर होता है.
- शीत ऋतु में इस फल के सेवन से कफ बाहर हो जाता है. साथ ही फाइबर की अधिकता के कारण ये कब्ज में बहुत उपयोगी होता है.
अमरूद का उपयोग औषधीय रूप में कैसे करें-
- सुबह अमरूद को नाश्ते में काली मिर्च, काला नमक तथा अदरख के साथ खाने से बदहजमी, खट्टी डकारें, पेट फूलना तथा कब्ज की समस्या खत्म होती है.
- सिरदर्द होने पर सूर्योदय से पहले कच्चे हरे अमरूद को पत्थर पर घिसकर जहां दर्द होता है, वहां खूब अच्छी तरह लेप कर देने से फायदा होता है. यह प्रयोग दिन में तीन-चार बार करना चाहिए.
- अमरूद के बीज निकाल कर बारीक-बारीक काटकर शक्कर मिलाकर, धीमी आंच पर चटनी बनाकर खाने से दिल की बीमारियां तथा कब्ज में लाभ होता है.
- पेचिस और अतिसार रोग में कच्चे अमरूद के फल को भूनकर खिलाने से भी अतिसार में लाभ होता है. अमरूद की छाल व इसके कोमल पत्रों का काढ़ा बनाकर 20 मिली पिलाने से हैजा की प्रारंभिक अवस्था में लाभ होता है. अमरूद की छाल का काढ़ा अथवा छाल के 5-10 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से पेचिश, हैजा, दूषित भोजन की
विषाक्तता, उल्टी तथा अनपच आदि ठीक होते हैं. वहीं, अमरूद का मुरब्बा, पेचिश एवं अतिसार में लाभदायक है. - मानसिक रोग में अमरूद के पत्ते के काढ़े का सेवन करने से मस्तिष्क विकारों तथा किडनी की जलन का शमन होता है. एसिडिटी दूर करने में मददगार है अमरूद अमरूद के बीज निकालकर पीसकर गुलाब जल और मिश्री मिला कर पीने से अत्यंत बढ़े हुए एसिडिटी में आराम होता है.
- 5-10 ग्राम अमरूद की छाल के चूर्ण को उसके ही काढ़े के साथ सेवन करने से बवासीर के कारण होने वाले रक्तस्राव तथा खुजली का शमन होता है. अमरूद के गुण का लाभ मिलने के लिए सही मात्रा में सेवन करना जरूरी होता है.
Source : News Nation Bureau