इस उम्र में आकर बच्चे क्यों करते हैं मनमानी, पेरेंट्स न हों परेशान 

अक्सर अभिभावक अपने बच्चों की मनमानी को लेकर शिकायत करते हुए देखे गए है. टीनेज (13 से 19 वर्ष) में बच्चों के व्यवहार में काफी बदलाव आता है. मगर अभिभावक इसे बच्चों की गलत हरकत समझकर परेशान हो जाते हैं.

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Mohit Saxena
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parenting tips for teenagers( Photo Credit : social media )

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अक्सर अभिभावक अपने बच्चों की मनमानी को लेकर शिकायत करते हुए देखे गए है. टीनेज (13 से 19 वर्ष) में बच्चों के व्यवहार में काफी बदलाव आता है. मगर अभिभावक इसे बच्चों की गलत हरकत समझकर परेशान हो जाते हैं. उसे डाटने के साथ सजा देकर बच्चों को सुधारने का प्रयास करते हैं. इस कारण बच्चे ज्यादा जिद्दी होने लगते हैं. विशेषज्ञों की माने तो इस ऐज में बच्चों में हार्मोनल चेंजस आते हैं. इस कारण बच्चों के अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता है. आइए जानते हैं किस तरह से अपने बच्चों को समय पर सही दिशा दी जा सकती है. इसके साथ किन समस्याओं से अभिभावकों का सामना होता है.

टीनएजर्स बच्चों के अधिकतर माता-पिता की उनसे यही शिकायत होती है कि वो उनकी बात कभी भी नहीं सुनते, फिर चाहे पढ़ाई हो या सही समय पर सोने-जागने की आदत हो या बच्चों को बार-बार टोकना पड़ जाता है. दरअसल ऐसी आयु में बच्चे अपनी पहचान को लेकर जूझ रहे होते हैं. इसमें वे कई बार गलतियां कर बैठते हैं. 

सलाह-

टीनेज होते ही बच्चों को छोटे-छोटे काम खुद करने के लिए प्रेरित करें. घर के लिए कोई जरूरी सामान खरीदते वक्त उनसे भी सलाह लें. ऐसा करते समय यह जरूरी नहीं है ​कि उनकी हर बात माना जाए. आप अपने निर्णय में उनकी राय को शामिल करें. आपके ऐसा करने से उन्हें अंदर से अच्छा लगेगा. इसके साथ उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.

इस आयु में बच्चों को बात-बात पर गुस्सा आता है. गलती पर उन्हें टोका जाता है तो वह झल्लाने लगते हैं. हॉर्मोनल संबंधी असंतुलन इस तरह की समस्या का मुख्य कारण है. इसके अलावा टीनएजर्स का एनर्जी लेवल काफी ज्यादा होता है. मगर आधुनिक जीवनशैली के कारण आउटडोर गेम्स और फ‍िजि़कल ऐक्टिविटीज खत्म हो गई है. ऐसे में बच्चों को अपनी ऊर्जा को खर्च करने का मौका नहीं मिलता है. इससे उनका गुस्सा और आक्रामकता नजर आती है. ऐसे हालात में बच्चे पर गुस्से की जगह उसे प्यार से अपनी बात समझाएं. उसे इस समस्या ये बचाने के लिए किसी एक्टिविटी में लगाने का प्रयास करें. क्रिकेट, फुटबॉल और जूडो-कराटे जैसी फ‍िजिकल ऐक्टिविटीज के लिए प्रेरित करें. 

गलती न मानना

इस उम्र में कई बच्चे अपनी गलती मानने की जगह अपने अभिभावकों से बहस करने लगते हैं. इसकी वजह से उनकी संतान अनुशासनहीन होने लगती है. इसका कारण बच्चे ज्यादा परिवक्व नहीं होते हैं. वे खुद को बड़ा समझने लगते हैं. वे अपनी गलती को मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं.

सलाह-

इस समय बच्चा गुस्से में हो या अपनी गलती मानने को तैयार न हो रहा हो, तब उसे समझाने का प्रयास न करें. प्यार से उसे उसकी गलतियों को स्वीकाराना सीखाएं, इसके साथ माफी मंगवाएं. 

Source : News Nation Bureau

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