Hanging Punishment Rules: हमारे भारत देश में जघन्य अपराधों के लिए मौत की सज़ा सबसे बड़ी सज़ा होती है. भारत के अलावा अन्य देशों में भी अलग-अलग तरह से मौत की सजा दी जाती है. भारत में मौत की सज़ा हमेशा सुबह दी जाती है. ऐसे से कई लोगों के मन में सवाल है कि फांसी के दौरान क्या-क्या होता है और भारत में किसी अपराधी को मौत की सज़ा सुबह के समय ही क्यों दी जाती है. आज हम आपको इस लेख में हम आपको बताएंगे कि अपराधी को फांसी पर सुबह के समय ही क्यों लटकाया जाता है.
सुबह में ही क्यों लटकाया जाता है फांसी पर
भारत में फांसी का समय सुबह-सुबह इस लिए तय किया जाता हैं कि फांसी के कारण जेल का कोई काम प्रभावित न हो इसलिए अपराधी को फांसी पर चढ़ाने के लिए सुबह-सुबह का समय चुना जाता है.
फांसी पर लटकालने से पहले जल्लाद क्यों मांगता है माफी
फांसी देने से पहले जल्लाद कहता है कि उसे माफ कर दिया जाए. हिंदू भाइयों को राम-राम, मुस्लिम भाइयों को सलाम, हम क्या करें हम तो हुक्म के गुलाम हैं.
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किसी अपराधी के शव को फांसी के तख्ते पर लम्बे समय तक रखने का कोई निश्चित समय नहीं है. लेकिन जिस अपराधी को फांसी के फंदे पर लटका दिया जाता है उसको करीब 10 मिनट तक लटकाया ही जाता है. फांसी के 10 मिनट बाद मेडिकल टीम शव की जांच करती है. फांसी देते वक्त वहां पर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जेल अधीक्षक और जल्लाद का उपस्थिति अति आवश्यक होता है, इनमें से अगर कोई समय पर मौजूद नहीं है तो फांसी नहीं दी जा सकती. लेकिन एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जेल अधीक्षक और जल्लाद सभी को पहले ही फांसी का दिन और समय बता दिया जाता है. यदि कोई इमरजेंसी नहीं होती तो ये लोग समय से पहले ही वहां पहुंच जाते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)