कबूतरों को पहले के टाइम में चिट्ठी लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. वहीं काफी सारे लोगों को कबूतरों को दाना डालने का भी शौक होता है. वहीं कबूतरों को खत दिया जाता था. जिसको वो पहुंचाकर वापस अपने ठिकाने पर पहुंच जाते थे. वैसे तो कबूतर को सबसे शांत पक्षी में से एक माना जाता है, लेकिन इनकी बीट इंसान को काफी ज्यादा परेशान कर देती है. कबूतर कई भी बीट कर देते है. वहीं क्या आप जानते है कि कबूतरों की बीट में पाया जाने वाला केमिकल और रोगाणु इंसानों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं. आइए आपको बताते है कि आप कबूतरों की बीट से होने वाली बीमारियों से कैसे बच सकते हैं.
कबूतरों से फैलने वाली बीमारियां
एलर्जी
कबूतर की बीटट की वजह से छींक आना, आंखों में जलन और नाक बहने जैसी एलर्जिक रिएक्शन भी हो सकते हैं.
कैम्पाइलोबैक्टर
कैम्पाइलोबैक्टर बैक्टीरिया भी कबूतरों की बीट में पाया जाता है और फूड आइटम्स को खराब भी कर सकता है. कैम्पाइलोबैक्टर के इन्फेक्शन से भी दस्त, बुखार, उल्टी, और पेट में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
ई. कोलाई
इस बीमारी में भी कबूतर खानें की चीज को खराब कर देते हैं और इससे भी दस्त, बुखार, उल्टी जैसी दिक्कत हो सकती है.
साल्मोनेला
यह बीमारी कबूतरों की बीट में पाई जाती है और यह फूड आइटम्स को खराब करती है. साथ ही इससे दस्त, उल्टी, बुखार जैसी चीजें होती है.
क्रिप्टोकोक्कोसिस
यह एक टाइप की फंगल इन्फेक्शन होती है. जो कि क्रिप्टोकोक्कोसिस नाम के फंगस के कारण होता है. वहीं यह फंगस कबूतरों की बीट में होता है और यह सांस लेने के टाइम पर शरीर में आता है. यह संक्रम फेफड़ों में सूजन और दिमाग में इन्फेक्शन का कारण होता है.
हिस्टोप्लाज्मोसिस
यह एक फंगल इन्फेक्शन है, जो कबूतरों की बीट में पाए जाने वाले हिस्टोप्लाज्मा कैप्सुलैटम नाम के फंगस के कारण होता है. इस इन्फेक्शन से फेफड़ों में सूजन हो सकती है, जिससे खांसी, बुखार, और छाती में दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं. गंभीर मामलों में, यह संक्रमण दिल, दिमाग, या अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)