Krishna Temples: 26 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भारत समेत पूरी दुनिया के कई हिस्सों में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. जन्माष्टमी के महापर्व पर कई लोग देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित प्रसिद्ध और पवित्र कृष्ण मंदिरों का दर्शन करने पहुंचते रहते हैं. खासकर, वृन्दावन, पुरी और द्वारका मंदिर का दर्शन करने कुछ अधिक ही भक्त पहुंचते हैं. गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर की प्रसिद्धी से कौन वाकिफ नहीं है. लेकिन क्या आपको पता है कि गुजरात में द्वारकाधीश के अलावा भी कई ऐसे कृष्ण मंदिर मौजूद हैं, जहां भक्तों की हर मुरादें पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं इस बारे में.
रणछोड़जी मंदिर (Ranchhodrai Temple)
गुजरात की गोमती झील के किनारे डाकोर में स्थित रणछोड़जी मंदिर काफी लोकप्रिय है. यह मंदिर किले की दीवारों से घिरा हुआ है. मंदिर का निर्माण 1772 ई. में हुआ था. रणछोड़जी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि रण का मैदान छोड़ने के कारण यहां भगवान कृष्ण को रणछोड़जी कहा जाता है. यहां भगवान कृष्ण करीब 4 फुट ऊंची मूर्ति विराजमान है. जन्माष्टमी के मौके पर यहां देश के हर कोने से भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से दर्शन के लिए पहुंचता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती है. इस मंदिर में दर्शन का समय- सुबह 7 बजे से लेकर रात 10 बजे तक है.
जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple)
गुजरात की साबरमती नदी के तट पर स्थित जगन्नाथ मंदिर राज्य पवित्र धार्मिक स्थलों से एक है. यहां भगवान कृष्ण जगन्नाथ के रूप के साथ-साथ भाई भगवान बलदेव और उनकी बहन देवी सुभद्रा के रूप में पूजे जाते हैं. जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ-साथ भाई बलदेव और बहन की मूर्तियां विराजमान हैं. जन्माष्टमी के मौके पर यहां भक्तों भी भीड़ उमड़ जाती हैं. जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर के आसपास मेला भी लगता है. दर्शन का समय-सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक और 3 बजे से रात 9 बजे तक.
रुक्मिणी मंदिर (Rukmini Temple)
गुजरात का रुक्मिणी मंदिर भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी को समर्पित है, लेकिन दोनों ही सामान्य रूप से पूजे जाते हैं. रुक्मिणी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका जिक्र महाभारत में भी है. मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो द्वारका मंदिर के बाद इस मंदिर का दर्शन करते हैं, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं. जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर का दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर को शानदार तरीके से सजाया जाता है. दर्शन का समय-सुबह 4 बजे से लेकर 12 बजे तक और 4 बजे से लेकर 9 बजे तक है.
भालका तीर्थ एंड प्रभास पाटन (Bhalka Tirth and Prabhas Patan)
जन्माष्टमी पर जाने के लिए भालका तीर्थ एंड प्रभास पाटन गुजरात के सोमनाथ में मौजूद एक पवित्र कृष्ण स्थल अच्छा ऑप्शन है. कहा जाता है कि इस पवित्र स्थान पर भगवान कृष्ण के पैरों की पूजा-पाठ होती है. भालका तीर्थ एंड प्रभास पाटन के बारे में कहा जाता है कि एक दिन भगवान कृष्ण जंगल में एक पेड़ पर पैर लटकर बैठे थे, तभी एक शिकारी ने पक्षी समझकर तीर चला दिया. तीर सीधा भगवान कृष्ण के पैरों में लगी. जन्माष्टमी के मौके पर यहां सुबह से भी भक्तों की भीड़ लग जाती है.
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