राधा-कृष्ण के निस्वार्थ प्रेम के किस्से देश के साथ- साथ विदेश में भी मशूहर है. लेकिन, एक समय के बाद उनका प्रेम अधूरा रह गया था. जन्माष्टमी के त्योहार को मनाने को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान श्रीकृष्ण ने बचपन से लीलाएं दिखानी शुरू कर दी थीं. ऐसे ही चमत्कार दिखाते हुए कृष्ण-राधा दोनों को आपस में बालकाल में प्रेम हो गया था. उनके अगाध प्रेम के किस्से देश तो क्या, विदेशों तक में भी प्रचलित हैं. लेकिन, एक समय के बाद उनका प्रेम अधूरा रह गया था. इस अधूरे प्रेम को जानने को लेकर लोगों के मन में सैकड़ों सवाल हैं. ऐसे में एक बड़ा सवाल यही है कि जब कृष्ण और राधा में इतना प्यार था तो दोनों नें शादी क्यों नहीं की? आखिर क्यों रुक्मणी से शादी की थी.
ऐसी हुई मुलाकात
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण और राधा के मिलन से जुड़ी कथा अपने आप में काफी खास है. कहा जाता है कि एक बार नंदबाबा श्रीकृष्ण के साथ बाजार गए थे. उसी समय उन्होंने राधा को देखा. राधा की सुंदरता और अलौकिकता को देख श्रीकृष्ण उनमें पर मुग्ध हो गए. यही हाल राधा का भी था. जहां पर राधा और कृष्ण पहली बार मिले थे, उसे संकेत तीर्थ कहा जाता है, जो कि नंदगांव और बरसाने के बीच है.
ये है खास वजह
खुद को नहीं समझा कृष्ण के लायक
मान्यताओं के अनुसार राधा खुद को कृष्ण के लायक नहीं समझती थी. इसलिए उन्होंने उनसे शादी ना करने का फैसला लिया था.
देवी का रुप
वहीं राधा रानी को मां लक्ष्मी का स्वरूप थीं और रुक्मणी भी मां देवी का स्वरूप थीं, इसलिए माना जाता है कि राधा और रुक्मणी एक ही अंश थे. इस प्रकार श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मणी से हुआ था.
प्रेम और विवाह अलग
मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण और राधा के बीच आध्यात्मिक प्रेम था. इसी के चलते दोनों ने शादी नहीं की थी. श्रीकृष्ण ये भी संदेश देना चाहते थे कि प्रेम और विवाह दो अलग-अलग हैं, प्रेम का अर्थ विवाह नहीं होता.
उनका मानना था कि राधा उनकी आत्मा हैं.
आज भी प्रेम अमर
मान्यताओं के अनुसार कृष्ण और राधा की भले ही कभी शादी न हुई हो पर वे दोनों कभी अलग नहीं हुए. उनके बीच का प्रेम कभी शारीरिक नहीं था. यही वजह है कि उनका प्रेम आज भी अमर है.
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रुक्मणी से शादी की वजह
जब श्रीकृष्ण वृंदावन छोड़कर जा रहे थे, तब राधा को देखकर उनसे मिलने आए और वापस लौटकर आने का वादा किया. रुक्मणी श्रीकृष्ण को मन ही मन अपना पति स्वीकार कर चुकी थीं. इसके बाद कृष्ण को पता चला कि रुक्मणी का विवाह किसी से उनकी इच्छा के विरुद्ध हो रहा है. तब उन्होंने रुक्मणी से विवाह रचा लिया.