इन दिनों रिश्तें कब टूटते हैं, कब बनते हैं पता ही नहीं चलता है. वहीं यह ज्यादा मुश्किल Gen Z यानी युवाओं की नई पीढ़ी जो कि डिजिटल दुनिया में पली-बढी है. Gen Z के रिश्ते काफी तेजी से बदलते नजर आते हैं. मिनटों मे प्यार होता है तो वहीं मिनटों में ब्रेकअप होता है. Gen Z के लोगों का पता ही नहीं होता है कि वो कब प्यार करते हैं कब ब्रेकअप करते हैं. तो वहीं कब वो रिलेशन में होते है. इस जनरेशन का कुछ अता-पता ही नहीं होता है. आइए आपको इस जनरेशन की कुछ ऐसी बातें बताते है जिससे इनके रिश्तें कमजोर बनते है.
बातचीत है जरूरी
रिश्तों में बातचीत सबसे काफी ज्यादा जरूरी होती है, लेकिन Gen Z में अक्सर देखा गया है कि डिजिटल ने असल बातचीत की जगह ले ली है. कई बार सोशल मीडिया और टेक्स्ट मैसेजिंग के जरिए भावनाओं को सही ढंग से व्यक्त नहीं किया जा पाता, जिससे गलतफहमियां पैदा होती हैं. जब रिश्ते में बातचीत की कमी होती है, तो आपसी समझ और भरोसा भी कमजोर होने लगता है.
सोशल मीडिया
सोशल मीडिया ने रिश्तों पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है. तस्वीरें पोस्ट करना, लाइक्स और कमेंट्स से संतुष्टि पाना या अपने पार्टनर की सोशल मीडिया एक्टिविटी पर नजर रखना- यह सब रिश्तों में तनाव का कारण बनता है. Gen Z में यह समस्या आम है कि वे अक्सर अपने रिश्ते की तुलना सोशल मीडिया पर दिखाए गए 'आइडल' रिश्तों से करते हैं, जिससे असली जिंदगी में रिश्ते कमजोर पड़ने लगते हैं.
कमिटमेंट
Gen Z के युवाओं में कमिटमेंट एक आम बात हो गई है. लॉन्ग टर्म रिश्तों में बंधने का विचार कई युवाओं के लिए डरावना होता है. वे रिश्ते में तो होते हैं, लेकिन जब किसी स्थायी बंधन की बात आती है, तो वे पीछे हट जाते हैं. रिश्ते को गंभीरता से न लेने की प्रवृत्ति और लंबे समय तक बने रहने की इच्छा की कमी रिश्तों को कमजोर बना देती है.
विश्वास ना होना
Gen Z के रिश्तों में विश्वास की कमी एक आम समस्या है. जब कोई अपने पार्टनर के फोन या सोशल मीडिया अकाउंट की जासूसी करता है, तो यह रिश्ते में अविश्वास को बढ़ावा देता है. पार्टनर पर भरोसा न करना और हर कदम पर शक करना रिश्तों को कमजोर करता है. विश्वास का टूटना अक्सर रिश्तों को समाप्ति की ओर ले जाता है.
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