Solo Travelling: युवाओं में बढ़ रहा सोलो ट्रेवलिंग का क्रेज, महिलाएं क्यों कर रहीं संकोच, जानिए वजह

18 से 24 वर्ष की आयु की 347 एकल महिला यात्रियों में से 56 सुरक्षा की दृष्टि से सोलो ट्रेवलिंग के लिए धर्म स्थलों और तीर्थ स्थलों को प्राथमिकता देती हैं, न कि रोमांचक एवं खतरों से भरी यात्राओं को.

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Neha Singh
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Solo Travelling: युवाओं में सोलो ट्रेवलिंग का क्रेज बढ़ रहा है. लेकिन इस मामले में महिलाएं अभी भी थोड़ा संकोच कर रही हैं. अक्सर देखने को मिलता है कि महिलाएं सोलो ट्रिप के नाम पर असमंजस में पड़ जाती हैं. उन्हें कई तरह की बातों को लेकर परेशानी होने लगती है. जैसे- अकेले सामान कैसे कैरी करना होगा, खाने पीने और ठहरने की व्‍यवस्‍था सुरक्षित रहेगी या नहीं, अगर बीमार पड़ गए तो क्‍या होगा. अगर आपको भी अकेले यात्रा करने को लेकर फोबिया महसूस होता है तो यहां हम आपकी मदद कर सकते  हैं. इन बातों को ध्‍यान में रखकर आप अकेले ट्रैवल को बहुत एन्‍जॉय कर सकेंगी और बिना की स्‍ट्रेस के सुरक्षित तरीके से लोकेशन को एक्‍सप्‍लोर भी कर सकेंगी. तो आइए जानते हैं ये बातें.

10 में से 8 महिलाएं परिवार के निर्णय पर निर्भर 

आउटलुक ट्रैवलर और सर्वे कंपनी टोलुना ने भारत में महिलाओं के यात्रा पैटर्न और अपने अनुभवों को बेहतरीन बनाने के लिए ‘वे क्या चाहती हैं?’ प्रश्न पर सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं यात्रा से पहले निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होना चाहती हैं. लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाता है. 10 में से 8 उत्तरदाताओं का कहना है कि सोलो ट्रेवलिंग के लिए वो परिवार के निर्णय पर ही निर्भर हैं.

धर्म स्थलों को देतीं प्राथमिकता 

भारत में महिलाओं का सोलो ट्रेवलिंग न करने का सबसे बड़ा कारण है- असुरक्षा. सर्वेक्षण में एक दिलचस्प बात यह रही कि 18 से 24 वर्ष की आयु की 347 एकल महिला यात्रियों में से 56 सुरक्षा की दृष्टि से सोलो ट्रेवलिंग के लिए धर्म स्थलों और तीर्थ स्थलों को प्राथमिकता देती हैं, न कि रोमांचक एवं खतरों से भरी यात्राओं को. यह संख्या कुल सर्वेक्षण का 16 प्रतिशत थी. इसके अलावा केदारनाथ और तिरुपति ने सोलो ट्रेवलिंग में महिलाओं के लिए क्रमशः 35 प्रतिशत और 31 प्रतिशत वोट प्राप्त करके आध्यात्मिक स्थलों में शीर्ष स्थान प्राप्त किया.

सामाजिक का दवाब 

भारतीय समाज में आज भी ऐसा माना जाता है कि  महिलाओं को अकेले यात्रा नहीं करनी चाहिए. उन्हें परिवार के सदस्यों के साथ ही यात्रा करनी चाहिए. महिलाएं खराब स्थितियों में बहुत जल्दी परेशान हो जाती हैं, इसलिए भी वे अकेले किसी ट्रिप पर जाने से बचती हैं.

सुरक्षा से समझौता नहीं

पैसे बचाने के चक्कर में सुरक्षा से समझौता नहीं करें. सबसे सस्ता कमरा बुक करने की कोशिश आपके लिए काफी महंगी पड़ सकती है और आप मुसीबत में पड़ सकती हैं. 

योजनाओं से अवगत कराएं

अपनी यात्रा को गुप्त रखने के बजाय किसी मित्र या परिवार के सदस्य को अपनी यात्रा योजनाओं से अवगत कराएं. इसे सरप्राइजिंग बनाने की कोशिश न करें. 

शेयरिंग में न जाएं

अगर आप अकेली हैं तो टैक्सी या रिक्शा लेते समय ड्राइवर से शेयरिंग करने के लिए मना कर दें. अगर वह सहमत नहीं है तो कोई दूसरी टैक्सी/रिक्शा ले लें.

ऐसे कपड़े पहनें 

सोलो ट्रेवलिंग के दौरान ढीले सूती कपड़े, जो मौसम के हिसाब से हों, पहनना ही सबसे बेहतर होता है.

होम स्टे में रूकें 

जब आप अकेले यात्रा पर हों तो होम स्टे लें. इससे यह सुनिश्चित होता है कि गंतव्य पर पहुंचने से पहले ही आपको कोई सहयोगी मिल गया है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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