Eid Mela 2024: ईद के मेले भारत में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परंपरा हैं जो न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए खुशी और उत्सव का प्रतीक हैं. इन मेलों में लोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेते हैं, जो भारत की समृद्ध संस्कृति और विविधता को दर्शाते हैं. ईद, इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है जो ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा के रूप में दो भागों में मनाया जाता है. ईद-उल-फितर, रमजान महीने के बाद आता है और इसे 'चाँद देखने की ईद' के रूप में भी जाना जाता है, जबकि ईद-उल-अज़हा को कुर्बानी की ईद के नाम से जाना जाता है और इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. यह मुसलमानों के लिए आनंद और उत्साह का अवसर होता है जब वे परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं, नमाज़ पढ़ते हैं, और खासतौर पर तैयार किए गए मिठाईयों और व्यंजनों का आनंद लेते हैं. ईद धर्मिक और सामाजिक एकता, प्यार, और बराबरी की भावना को प्रोत्साहित करता है.
दिल्ली: दिल्ली में, ईदगाह, जामा मस्जिद और राजघाट पर लगने वाले मेले विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं. इन मेलों में, लोग नए कपड़े और गहने खरीदते हैं, मिठाइयों का आनंद लेते हैं, और बच्चों के लिए झूले और चरखे जैसी मनोरंजक गतिविधियों का आनंद लेते हैं.
लखनऊ: लखनऊ में, ईदगाह, अमीनाबाद और चौक पर लगने वाले मेले अपनी जीवंतता और रंगों के लिए जाने जाते हैं. इन मेलों में, लोग पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं, जैसे कि कबाब, बिरयानी और शीर खुरमा.
हैदराबाद: हैदराबाद में, चारमीनार, मक्का मस्जिद और टोलीचौकी पर लगने वाले मेले अपनी भव्यता और उत्सव के लिए प्रसिद्ध हैं. इन मेलों में, लोग पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं, और विभिन्न प्रकार की हस्तशिल्प और कलाकृतियां खरीदते हैं.
ईद के मेले केवल धार्मिक उत्सव नहीं हैं, बल्कि सामाजिक समरसता और भाईचारे का प्रतीक भी हैं. इन मेलों में, विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग एक साथ आते हैं और खुशी और उल्लास का जश्न मनाते हैं. कुछ मेले स्थानीय समुदायों, सरकार और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा आयोजित किए जाते हैं. ईद के मेले भारत की समृद्ध संस्कृति और विविधता का प्रतीक हैं. ये मेले लोगों को एक साथ लाते हैं और खुशी, भाईचारे और सामाजिक समरसता का संदेश देते हैं.
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Source : News Nation Bureau