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भयंकर थकावट के बाद भी नहीं आती है नींद, तो इन आदतों से आज ही बना लें दूरी

काफी लोगों के साथ ऐसा होता है कि जब वो कुछ काम कर रहे होते है, तो उन्हें काफी ज्यादा नींद आती है. लेकिन उन्हीं लोगों को थकान के बाद भी बेड पर जाने के बाद नींद ही नहीं आती है.

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Nidhi Sharma
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नींद ना आना

नींद ना आना

इन दिनों लोगों की लाइफस्टाइल इतनी ज्यादा बिगड़ गई है कि उसके कारण उन्हें काफी ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वहीं काफी लोगों की शिकायत होती है कि उन्हें थकावट होने के बाद भी चाहकर नींद नहीं आती है. उनकी आंखों में नींद होती है. लेकिन वो सो नहीं पाते है. वहीं एक्सपर्ट के मुताबिक अगर आपको थकावट के बाद भी नींद नहीं आ रही है, तो आपकी बॉडी का सर्केडियन रिद्म बिगड़ गया है. सर्केडियन रिद्म का मतलब हमारी बॉडी की नेचुरल क्लॉक से है, जिसकी मदद से हमारा शरीर यह तय करता है कि उसे कब सोना और जागना है. ये क्लॉक यह भी याद दिलाती है कि किस समय कौन सा काम करना है. आइए हम आपको बताएंगे कि यह किस कारण से हो रहा है. 

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क्या है सर्केडियन रिद्म है?

सर्केडियन रिद्म शरीर का सेल्फ अलार्म क्लॉक सर्केडियन रिद्म होता है. जो कि इंसानों के इंटरनल टाइमकीपर की तरह है. हम 24 घंटे के पीरियड में जो चीजें या काम रोज करते हैं, हर उस चीज का रिकॉर्ड हमारी नेचुरल क्लॉक के पास रहता है. यह क्लॉक हमें रोज सेल्फ अलार्म की तरह जरूरी कामों के लिए इंडिकेट करती रहती है. देर रात तक जागने से बिगड़ता है सर्केडियन रिद्म अगर किसी शख्स के सोने और जागने का शेड्यूल सामान्य से अलग है, लेकिन वह स्वस्थ और सही महसूस कर रहा है तो कोई समस्या की बात नहीं है. अगर कोई बहुत थका होने के बाद भी सो नहीं पा रहा है तो समस्या की बात है. इसका मतलब है कि उसका सर्केडियन रिद्म बिगड़ा हुआ है.

क्या है डिलेड स्लीप फेज सिंड्रोम 

डिलेड स्लीप फेज सिंड्रोम  का संकेत हो सकता है.

ऐसा तब होता है, जब कोई सोने के सामान्य समय (रात 10 बजे से 12 बजे के बीच) की तुलना में 2 या अधिक घंटे देर से सोता है. इसके कारण सुबह समय पर उठने में समस्या होती है. डिलेड स्लीप फेज सिंड्रोम आमतौर पर युवाओं को अधिक प्रभावित करता है.

इन कारणों से नहीं आती नींद 

नैप लेने से 

नैप लेने के वैसे तो काफी सारे फायदे होते है. लेकिन गलत समय पर नैप लेने और बहुत ज्यादा सोने से किसी की रात की नींद खराब हो सकती है.

वहीं एक्सपर्ट के मुताबिक लंबी नैप और दोपहर के बाद की नैप से रात में सोने में मुश्किल हो सकती है. 

अगर आप रोजाना नैप लेते है, तो हर दिन में एक ही टाइम पर नैप लें. 

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एंग्जायटी भी है कारण

काफी बार एंग्जायटी की वजह से भी नींद नहीं आती है और इसके कारण दिमाग काफी ओवरथिंक करता है. 

एंग्जायटी डिसऑर्डर के कारण नींद नहीं आना इसका सामान्य लक्षण हो सकता है.

कैफीन से भी नहीं आती नींद 

अगर किसी को दिन में नींद आ रही है तो आमतौर पर लोग कॉफी पीने की सलाह देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें कैफीन मौजूद होता है, जो दिमाग को एक्टिव रखने में मदद करता है.

अगर कोई शख्स रोज दोपहर में एनर्जी ड्रिंक या कॉफी पीता है और उसे रात में नींद में समस्या हो रही है तो कॉफी और एनर्जी ड्रिंक नहीं पीनी चाहिए.

एक बार पी गई कॉफी का असर अगले 24 घंटे तक बना रहता है. सुबह की कॉफी भी रात की नींद को प्रभावित कर सकती है, लेकिन शाम को पी गई कॉफी से अधिक जोखिम है.

फोन की स्क्रीन है सबसे मेन 

हमारे फोन, टैबलेट, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन से निकलने वाली नीली रौशनी मेलाटोनिन उत्पादन को प्रभावित करती है. इसके कारण नींद की समस्या हो सकती है.

हमें सोने से 2 घंटे पहले किसी भी डिवाइस को बंद करने की सलाह दी जाती है. अगर रात में किसी डिवाइस का इस्तेमाल बहुत जरूरी है तो ब्लू कट एंटी ग्लेयर कोटिंग लेंस वाले चश्मा पहनना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

 

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