अगर आप किसी सीनियर पोस्ट पर हैं या फिर आपके पास उस काम का एक्सपीरियंस हैं लेकिन फिर भी आपसे ऊंचे पद पर बैठा व्यक्ति हर एक छोटी से छोटी चीज में आपको गाइड कर रहा है और कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है तो इसे माइक्रो मैनेजमेंट कहा जाता है. इससे कर्मचारियों में तनाव बढ़ता है और काम करने की इच्छा घटने लगती है.
क्या है माइक्रोमैनेजमेंट
माइक्रोमैनेजमेंट में इम्प्लॉई की हर एक एक्टिविटी पर नजर रखा जाता है. कर्मचारी को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. माइक्रो मैनेजमेंट के चलते कर्मचारियों में तनाव बढ़ता है और काम नहीं हो पाता. इससे प्रोडक्टिविटी और क्रिएटिविटी कम होने लगती है.
क्या है इसके नुकसान
इससे कर्मचारी के साथ साथ कंपनी को भी नुकसान होता है.
नए जॉब की तलाश
माइक्रो मैनेज बॉस के अंदर काम करना इतना ज्यादा मुश्किल हो जाता है कि इम्प्लॉई काम करने से ज्यादा नए जॉब की तलाश करते रहते हैं. जैसे ही कोई अच्छा मौका हाथ लगता है, तो कंपनी छोड़ने से पहले जरा भी नहीं सोचते. एक साथ बहुत सारे कर्मचारियों के जाने से कंपनी की इमेज पर भी खराब प्रभाव पड़ता है.
प्रोडक्टिविटी पर असर
जब बॉस आपके हर एक काम पर नजर रखने लगता है, तो इससे काम करने की आजादी छीनने लगती है, तनाव के चलते काम धीमा होता है या फिर होता ही नहीं है. हर एक काम से पहले बॉस की परमिशन या डिस्कशन के चलते टाइम वेस्ट होता है. इन सारी चीजों में आप चाहकर भी काम में अपना 100% नहीं दे पाते.
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दिमाग पर होता है असर
अपनी क्षमता को जानते हुए भी किसी की निगरानी में काम करने से बहुत ज्यादा तनाव होता है. कई बार ये तनाव डिप्रेशन की भी वजह बन सकता है. मेंटल हेल्थ खराब होने से फिजिकल हेल्थ पर भी असर पड़ता है. अच्छा काम करने के लिए फिट बॉडी के साथ माइंड भी रिलैक्स होना चाहिए. वहीं इन सभी चीजों के लिए आप अपने बॉस से बात कर सकते है.