Honesty and Alcohol: आपने कई लोगों को ये कहते सुना होगा कि लोग शराब पीने के बाद सच बोलते हैं. उनके मन में जो भी बातें होती हैं वो बाहर निकल आती हैं. लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई होती है इसे लेकर कई बार मन में डाउट रहता है. एल्कोहल को 'Truth Serum' भी कहा जाता है. रोम के साइंटिस्ट, इतिहासकार और सैनिक प्लीनी द एल्डर ने कहा था कि शराब में सच छिपा होता है. लेकिन शराब पीने के बाद जो बातें लोग बोलते हैं, क्या वो सच बोल रहे होते हैं. क्या सच में शराब पीने के बाद दिमाग से छल-कपट हट जाता है. पीने वाला व्यक्ति ईमानदारी से अपनी बात रखता है. आइए जानते हैं इसकी असली वजह क्या है.
आदमी वही बोलता है, जो उसके दिमाग में होता है
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन अल्कोहल अब्यूज एंड अल्कोलिज्म एपिडेमियोलॉजी और बायोमेट्री ब्रांच के प्रमुख ऐरोन व्हाइट भी इस बात का समर्थन करते हैं. उनका मानना हैं कि शराब पीने के बाद आदमी वही बोलता है, जो उसके दिमाग में होता है. ऐरोन कहते हैं कि कुछ मामलों में ये बातें सच भी हो सकती हैं. ये भी हो सकता है कि कुछ लोग उस बात को सच मान लें. जबकि बोलने वाले का इरादा ही ऐसा न हो. कुछ पेग लगाने के बाद अक्सर लोग जो बातें करते हैं, उसे आसपास के लोग सीरियसली ले लेते हैं. या फिर बोलने वाला ले लेता है. जरूरी नहीं कि बोलने वाला और सुनने वाला दोनों एक साथ उस बात को मान लें.
अगली सुबह पूरी नहीं होती बात
कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि एक शराब में धुत एक दोस्त जब दूसरे दोस्त से कहता है कि वो शहर छोड़ने जा रहा है या वो कल नौकरी छोड़ देगा. लेकिन अगली सुबह ऐसा कुछ भी होता नहीं. वो उसी दफ्तर में काम कर रहा होता है. उसी शहर में रह रहा होता है. अगली पार्टी में शायद यही बात वो फिर से बोले. क्योंकि इस बात की कोई स्टडी प्रमाणिक तौर पर सामने नहीं आई है जिसमें पुष्ट किया गया हो कि शराब पीने के बाद ईमानदारी बढ़ जाती है.
तीव्र हो जाती हैं भावनाएं
ऐसा देखने को मिलता है कि एल्कोल के सेवन के बाद लोग ज्यादा हंस रहे होते हैं. हम ज्यादा बोल रहे होते हैं. तेज बोल रहे होते हैं. ये भी हो सकता है कि थोड़ी सी स्थिति बिगड़ने पर हम रोने लगें. पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के प्रोफसर माइकल सायेट्टे कहते हैं कि शराब पीने से हमारी भावनाएं तीव्र हो जाती हैं. भावनाएं ज्यादा तीव्र होने पर दिमाग में रखी बात लोग बोल देते हैं. होश में शांत रहने वाले इंसान की प्रतिक्रिया भी नशे में अलग हो जाती है. यानी शराब हमारे व्यवहार को चरम स्थिति तक पहुंचाती है.
क्यों कहते हैं इसे 'Truth Serum'
लोग शराब को 'Truth Serum' भी कहते हैं. जितनी भी स्टडीज हुई हैं, उसमें ये बात तो सामने आई है कि सच बोले या न बोले. लेकिन शराब पीने वाला नशे में ज्यादा मुखर हो जाता है. वो वही बात बोलता है जो उसके दिमाग में चल रहा होता है. जैसे अक्सर शराब पीकर झगड़े भी होते हैं. आपके दिमाग में किसी के प्रति किसी बात पर पुराना गुस्सा है, शराब पीने से वो बात सामने आ गई.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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