जब भी घर में बच्चा पैदा होता है, तो घर में खुशियों का माहौल हो जाता है. चारों और खुशियां ही खुशियां होती है. वहीं बच्चे का ध्यान रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है. हमारे हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मरने तक 16 संस्कार होते है. वहीं भारत में हर घर में जब भी बच्चा पैदा होता है, तो उसके लिए पुराने कपड़े पहनाएं जाते है. वहीं हमारे यहां जब भी बच्चा पैदा होता है, तो उसके लिए ना जानें क्या क्या चीजें की जाती है. दादी-नानी कई तरह के नुस्खे और सलाह देती है. हमारे हिंदू धर्म में बच्चे को पुराने कपड़े जब पहनाएं जाते है, तो उसके पीछे धार्मिक मान्यताओं से जोड़ा जाता है. लेकिन इसके पीछे साइंस जुड़ा हुआ है. वहीं साइंस के अनुसार यह बच्चे की सेहत से जुड़ा हुआ मामला है. आइए आज हम आपको इसके पीछे का साइंस बताते है.
बीमारी का खतरा कम
अगर हम बच्चे को नए कपड़े पहनाते है, तो उससे बच्चे को बीमारी हो सकती है. क्योंकि वह कपड़े बिना धोऐ पहनाएं जाते है. जिससे वायरल का खतरा हो सकता है. जिससे बच्चा बीमार हो सकता है. यह इसलिए होता है क्योंकि बच्चे की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है. वहीं अगर हम पुराने कपड़े पहनाते है, तो बीमारियों का खतरा कम होता है.
सैनिटाइज जरूरी
आप बच्चों के कपड़ों को डिटर्जेंट के धोने के अलावा अच्छे से सैनिटाइज भी जरूर करें. इसके लिए आपको मार्केट में कई तरह की चीज मिल जाएगी. वहीं आप अपने बच्चे को उन लोगों से दूर रखें जिन्हें कोई बीमारी हो. साथ ही बच्चे खेलते टाइम भी काफी किटाणु के संपर्क में आते है.
कपड़े चुनते वक्त ध्यान में रखें ये बात
पैदा हुए बच्चे के लिए कपड़े चुनते टाइम फैब्रिक का जरूर ध्यान रखें. हमेशा सॉफ्ट कपड़े ही चुनें. साथ ही बच्चे को कभी भी टाइट कपड़े ना पहनाएं. हमेशा कॉटन कपड़े ही चुने.
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पुराने कपड़े नाजुक होते है
वहीं पुराने कपड़े जब हम बार बार धोते है, तो वो मुलायम होते है. जिससे बच्चे की स्किन पर कोई भी असर नहीं पड़ता है और बच्चे को अच्छा लगता है. वहीं नए कपड़ों से बच्चे को रैशेज, इचिंग जैसी दिक्कत हो सकती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)