Pregnancy: पुराने जमाने में ऐसा दावा किया जाता था कि महिलाओं के चलने-बैठने और उठने और पेट के आकार से पता चल जाता था कि होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की. लेकिन साइंटिस्ट इन बातों को पूरी तरह से गलत मानते हैं क्योंकि इसके कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं. अपने बच्चे के लिंग का पता लगाने का एकमात्र निश्चित तरीका डॉक्टर से मिलना है. प्रेग्नेंसी के 18-20 सप्ताह के अल्ट्रासाउंड में जेंडर का पता चल जाता है. , जिसे एनाटॉमी स्कैन के नाम से भी जाना जाता है. भ्रूण के विकास के दौरान यह वह बिंदु होता है जब रिप्रोडक्टिव ऑर्गन को आम तौर पर देखा जाता है और "लड़का" या "लड़की" शब्द को बेहद गुप्त रखा जाता है. कैसे होता है गर्भ में लिंग का निर्धारण आइए जानते हैं इसके बारे में.
स्पर्म ओवम के साथ फ्यूज से बनता है कोम्रोसोम
जब स्पर्म ओवम के साथ फ्यूज करता है तो दोनों के कोम्रोसोम मिलकर बच्चे का जेंडर निर्धारण करते हैं. इसके बाद बच्चे के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन (reproductive organ)को विकसित होने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं. लेकिन गर्भावस्था के दौरान उनका जेंडर नहीं चेंज होता है. यह 10 सप्ताह की उम्र में ही निर्धारित किया जा सकता है लेकिन आमतौर पर गर्भावस्था के 18वें और 22वें सप्ताह के बीच होता है.
गर्भ में पल रहे बच्चे के जेंडर का ऐसे होता फैसला
गर्भवती महिला के गर्भ में मौजूद बच्चे का जेंडर पूरी तरह से पुरुष के क्रोमोसोम पर निर्भर होता है. हर किसी के पास 23 क्रोमोसोम का पेयर होता है. महिला के क्रोमोसोम XX होते हैं. वहीं पुरुष के क्रोमोसोम XY होते हैं. जब महिला का X और पुरुष का Y क्रोमोसोम से मिलता है तो XY कोमोसोम बनता है. इससे लड़के का जन्म होता है. इसका साफ अर्थ है कि किसी भी नवजात शिशु का जेंडर लड़का या लड़की पुरुष पर निर्भर करता है.
वजन बढ़ने का संबंध बच्चे के जेंडर
यूं तो लिंग का निर्धारण कोम्रोसोम पर ही निर्भर होता है. लेकिन एक स्टडी के मुताबिक गर्भावस्था में वजन बढ़ने का संबंध बच्चे के जेंडर से होता है. स्टडी में प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ने और बेबी के जेंडर के बीच के कनेक्शन की जांच की गई. पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस द्वारा प्रकाशित एक वैज्ञानिक जरनल में छपी एक स्टडी में 25 सालों तक 70 मिलियन बच्चों का विश्लेषण किया गया. इस स्टडी का कहना था कि प्रेग्नेंसी में वजन बढ़ने का संबंध बेटा पैदा होने से था.
इतना बढ़ेगा वजन
स्टडी में बताया गया कि जब प्रेगनेंट महिला का वजन 10 किलो के आसपास बढ़ा, तो 49 पर्सेंट महिलाओं ने बेटे को जन्म दिया. वहीं 20 किलो के आसपास वजन बढ़ने वाली 52.5 पर्सेंट महिलाओं ने बेटों को जन्म दिया. जब 30 किलो वजन बढ़ा तो 54 पर्सेंट महिलाओं के बेटा पैदा हुआ.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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