Cherry Tomato: उत्तर प्रदेश में चेरी टमाटर की खेती किसानों के लिए मोटी कमाई का जरिया बन चुका है। प्रदेश के हरदोई जिले में चेरी टमाटर की ओर किसानों का रुख देखने को मिल रहा है। इसके लिए जिला उद्यान विभाग किसानों की सहायता कर रहा है। टमाटर की चेरी प्रजाति सेब के दाम पर बिक रही है। किसानों को इसकी खेती से तगड़ा मुनाफा हो रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सब्जियों की खेती में चेरी टमाटर बड़ा मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है। यह टमाटर चेरी जितना बड़ा होता है। ड्रिप इरीगेशन विधि से टमाटर की खेती मचान बनाकर होती है।
ऐसा होता है चेरी टमाटर
विशेषज्ञों के अनुसार, चेरी टमाटर की बेल 20 फिट ऊंची तक होती है। इसके एक गुच्छे में 120 टमाटर आ जाते हैं। 40 दिन में इसकी बेल फल देने लगती है। लगातार 10 महीने तक सही देखरेख के जरिए फसल का बंपर उत्पादन होता है। इसकी दुबई चीन अमेरिका जापान जैसे देशों में काफी डिमांड है। बड़ी सब्जी मंडी में इसकी कीमत 400 रुपये किलों तक है।
किस तरह चेरी टमाटर की होती है खेती?
कृषि विभाग के अनुसार, जुलाई और अगस्त के आरंभ में चेरी टमाटर की खेती बलुई-दोमट मिट्टी में होती है। खेत का पीएच मान 7 सबसे उपयुक्त होता है. टमाटर का पेड़ उभरी हुई क्यारी में खरपतवार से बचा रहता है। बताया जाता है कि फसल को तैयार होने में 40 से 60 दिन लगते हैं। बेल पर टमाटर के गुच्छे आने आरंभ होते हैं। ड्रिप इरीगेशन विधि के माध्यम से टमाटर की फसल को जरूरत के अनुसार, पानी देना होता है। अगर आप कीट नियंत्रित करने में कामयाब हुए तो यह फसल किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकती है।
ये भी पढे़ं: कभी रोल्स रॉयस खरीदने गए भारतीय अरबपति को किया गया था अपमानित, अब लिया ऐसा बदला
हल्के गर्म माहौल की आवश्यकता
टमाटर की खेती के लिए हल्के गर्म माहौल की आवश्यकता होती है। ऐसे में धूप की पेड़ ज्यादा जरूर होती है। बताया जा हा है कि इसकी खेती करके संडीला और लखनऊ से सटे गांव में किसानों को अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। लखनऊ के बाजार में इसके अच्छे दाम मिल रहे हैं। चेरी टमाटर को खरीदकर अधिकतर व्यापारी विदेशों में बेच रहे हैं.
चेरी टमाटर में 90% पानी
चेरी टमाटर अन्य टमाटर की अपेक्षा छोटा होता है। छोटा होने के बाद भी भरपूर रसीला होता है। इसमें 90% पानी होता है। इसमें विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है। ये टमाटर कई रंगों में होते हैं, काला, लाल, पीला, हरा, नारंगी और बैंगनी। इस टमाटर की तरह—तहर की वैरायटी के होती हैं. इसका उत्पादन उत्तर प्रदेश समेत मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पंजाब, उड़ीसा आदि प्रदेशों में तेजी किया जा रहा है।