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COVID-19 महामारी ने दिया सबक, अब दुनिया में बजा डंका, जानें कौन है ये बिकानेरी शख्स ?

Success Story : कहते हैं कि हुनर किसी पहचान का मोहताज नहीं होता. यह बात बिकानेर के मनमोहन सिंह राठौड़ ने सच कर दिखाई है. जहाँ एक तरफ लोग नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं, वहीं मनमोहन ने अपनी मेहनत और लगन से ना सिर्फ़ खुद के लिए बल्कि दूसरे कारीगरों के लिए भी रोज़गार के अवसर पैदा किए हैं.

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Sunder Singh
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Success Story : कहते हैं कि हुनर किसी पहचान का मोहताज नहीं होता.  यह बात बिकानेर के मनमोहन सिंह राठौड़ ने सच कर दिखाई है.  जहाँ एक तरफ  लोग नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं, वहीं मनमोहन ने  अपनी मेहनत और लगन से ना सिर्फ़ खुद के लिए बल्कि  दूसरे कारीगरों के लिए भी रोज़गार के अवसर पैदा किए हैं.  मनमोहन ने  "Craftyther.com" नामक एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म  के ज़रिए राजस्थानी कला को  अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व जैसे देशों तक पहुँचाया है.

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फौज से लेकर ई-कॉमर्स तक का सफर

मनमोहन सिंह राठौड़ का  सफर  काफी  रोचक रहा है.   2004 में  भारतीय सेना में भर्ती होने वाले मनमोहन को  कुछ  वर्षों बाद पारिवारिक कारणों से नौकरी छोड़नी पड़ी.  इसके बाद  उन्होंने  आईटी  के क्षेत्र में  भी हाथ आजमाया,  लेकिन  उनका मन  राजस्थानी कला और हस्तशिल्प में ही रमा रहा.  COVID-19 महामारी के दौरान  जब  पूरी दुनिया में लॉकडाउन लगा हुआ था,  तब मनमोहन ने  ई-कॉमर्स  के  ज़रिए  अपना  व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया. राजस्थानी  हस्तशिल्प को  वैश्विक  प्लेटफ़ॉर्म पर लाने के उद्देश्य से की.  उन्होंने  अपने  उत्पादों में  उच्च  गुणवत्ता और  अनोखे  डिज़ाइन का  ध्यान रखा,  जिससे  विदेशी  ग्राहकों का  ध्यान  आकर्षित  हुआ.

स्थानीय कारीगरों को मिल रहा है रोज़गार

 

मनमोहन का  मानना  है कि  व्यवसाय  के  साथ-साथ  सामाजिक  ज़िम्मेदारी  भी  निभाना  ज़रूरी  है.  स्थानीय  कारीगरों  को  रोज़गार  प्रदान  कर  रहे  हैं,  जिससे  उनकी  आर्थिक  स्थिति  में  सुधार  हो  रहा  है.मनमोहन  का  सपना  राजस्थानी  हस्तशिल्प  को  दुनिया  भर  में  पहचान  दिलाना  है.  वे  Craftyther.com  पर  और  भी  उत्पाद  जोड़ने  और  स्थानीय  कारीगरों  के  लिए  प्रशिक्षण  कार्यक्रम  शुरू  करने  की  योजना  बना  रहे  हैं.  

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