अगर तुम अच्छा काम नहीं करोगे तो सीधे नर्क में जाओगे. ये लाइन आपने कई बार लोगों के मुंह से सुनी होगी. नर्क यानी वह स्थान जहां व्यक्ति मरने के बाद जाता है, जो जीवित रहते हुए बुरे कर्म करता है तो उसकी शिफ्टिंग यहीं होती है. नर्क का जिक्र विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक ग्रंथों में मिलता है. इसे एक ऐसे स्थान के रूप में देखा जाता है जहां मृत आत्माओं को उनके पापों की सजा मिलती है. विभिन्न धर्मों और मान्यताओं में नर्क की विभिन्न अवधारणाएं हैं, लेकिन सभी में एक सामान्य तत्व है - यह एक स्थान है जहां पीड़ा और यातना का अनुभव होता है. आज हम इस खबर में जानेंगे कि आखिर नर्क को लेकर एआई कैसी दुनिया तैयार करता है.
हिंदू धर्म में होती है नर्क की ऐसी कल्पना
हिंदू धर्म में नर्क को आम बोलचाल की भाषा में नरक' कहा जाता है. गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण, और भागवत पुराण जैसे ग्रंथों में नर्क के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. गरुड़ पुराण में 28 प्रकार के नरकों का जिक्र है, जैसे रौरव, महा रौरव, तामिस्र, अंधतमिस्र आदि. इन नरकों में पापी आत्माओं को उनके कर्मों के आधार पर विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी जाती हैं. यमराज को नर्क का स्वामी माना जाता है, जो पापियों को उनके कर्मों के अनुसार सज़ा देते हैं. चित्रगुप्त उनके सहायक होते हैं, जो जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं.
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ईसाई धर्म में क्या है कॉन्सेप्ट?
ईसाई धर्म में नर्क को एक स्थान के रूप में देखा जाता है जहां पापी आत्माएं ईश्वर से हमेशा के लिए अलग हो जाती हैं और पीड़ा सहती हैं. बाइबल में नर्क का जिक्र आग की झील के रूप में किया गया है, जहां पापी आत्माए अनंत काल तक जलती रहती हैं. इसे 'हेल' या 'जीहेन्ना' कहा जाता है.
इस्लाम और बौद्ध धर्म में नर्क का कॉन्सेप्ट?
इस्लाम में नर्क को 'जहन्नम' कहा जाता है. क़ुरान में जहन्नम का वर्णन एक स्थान के रूप में किया गया है जहां आग और गंधक की सज़ा दी जाती है. ये उन लोगों के लिए है जिन्होंने ईश्वर की आज्ञाओं का उल्लंघन किया और पाप किए. इस्लाम में जहन्नम में सज़ा के विभिन्न स्तर हैं, और सज़ा की तीव्रता पाप की गंभीरता के आधार पर होती है. वहीं बौद्ध धर्म में नर्क को 'नारक' या 'निरया' कहा जाता है. यह सबसे गंभीर और निचला नरक है, जहां आत्माएं असीम पीड़ा सहती हैं.