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Soul Facts : आत्मा के बारे में ये सोचते हैं दुनिया के वैज्ञानिक, जानिए अपने स्टडी में क्या बताया?

आत्मा की अवधारणा विज्ञान की दुनिया में एक जटिल और विवादास्पद विषय है.वैज्ञानिक शोध मुख्य रूप से भौतिक जगत और मापने योग्य घटनाओं पर केंद्रित होता है.

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Ravi Prashant
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Soul Facts

सोल फैक्ट्स (X)

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आत्मा की अवधारणा विज्ञान की दुनिया में एक जटिल और विवादास्पद विषय है.वैज्ञानिक शोध मुख्य रूप से भौतिक जगत और मापने योग्य घटनाओं पर केंद्रित होता है, इसलिए आत्मा जैसी अमूर्त और अदृश्य चीज़ों पर शोध करना चुनौतीपूर्ण है.  इसके बावजूद, कुछ वैज्ञानिक और शोधकर्ता आत्मा की अवधारणा की जांच करने के प्रयास में रहे हैं.

कुछ वैज्ञानिक और पैरानॉर्मल शोधकर्ताओं ने आत्मा, भूत-प्रेत, और अन्य अलौकिक घटनाओं की जांच करने का प्रयास किया है.ये अध्ययन अक्सर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे ईवीपी (Electronic Voice Phenomena) और ईएमएफ (Electromagnetic Field) डिटेक्टर्स का उपयोग करते हैं. हालांकि, ये शोध व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किए जाते क्योंकि वे विज्ञान की कठोर मानकों को पूरा नहीं कर पाते हैं. 

नियर-डेथ एक्सपीरियंस (NDE) रिसर्च

आत्मा की अवधारणा पर शोध का एक अन्य प्रमुख क्षेत्र निकट-मृत्यु अनुभवों (NDEs) की जांच है.एनडीई के अध्ययन में, कुछ व्यक्तियों ने मृत्यु के निकट अनुभवों के दौरान 'आत्मा' या 'चेतना' के शरीर से बाहर जाने की बात कही है.कई शोधकर्ताओं ने इन अनुभवों का अध्ययन किया है, लेकिन इसका कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.

कुछ प्रमुख शोधकर्ता

डॉ. इयान स्टीवेन्सन: वर्जीनिया विश्वविद्यालय में एक प्रमुख मनोचिकित्सक थे, जिन्होंने पुनर्जन्म और पिछले जीवन के प्रमाणों पर शोध किया.उनका शोध विवादास्पद था, लेकिन उन्होंने आत्मा की निरंतरता के विचार पर महत्वपूर्ण सामग्री प्रदान की.

डॉ. रेमंड मूडी: एक चिकित्सक और लेखक, जिन्होंने निकट-मृत्यु अनुभवों पर व्यापक शोध किया है.उनकी किताब "Life After Life" ने एनडीई पर चर्चा को व्यापक बनाया.

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विज्ञान और आत्मा के बीच संघर्ष

आत्मा पर वैज्ञानिक शोध की सबसे बड़ी समस्या यह है कि आत्मा की अवधारणा भौतिक रूप से मापने योग्य नहीं है.अधिकांश वैज्ञानिक इसे एक मानसिक और सांस्कृतिक अवधारणा मानते हैं, न कि एक भौतिक इकाई. इसलिए, आत्मा की वास्तविकता पर कोई निर्णायक वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिल पाया है. फिर भी, आत्मा और चेतना के सवालों ने दर्शन, धर्म और विज्ञान में एक बड़ा स्थान बनाए रखा है, और यह बहस अभी भी जारी है.हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे प्रमाणित करना कठिन है, लेकिन यह विषय मानवता की गहरी जिज्ञासाओं और विश्वासों का हिस्सा है.

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