भूतों से बात करने की अवधारणा सदियों से लोगों के मन में कौतूहल का विषय रही है. अनेक संस्कृतियों में मान्यता है कि आत्माएं या भूत किसी न किसी रूप में हमारे बीच मौजूद होते हैं और उनसे संपर्क साधा जा सकता है. लेकिन विज्ञान और तर्क की दृष्टि से भूतों से बात करने का कोई ठोस प्रमाण अभी तक नहीं मिला है. फिर भी, यह विचार धार्मिक, सांस्कृतिक, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी धारणाओं पर आधारित है.
क्या कहते हैं लोग?
कई लोग मानते हैं कि भूतों से बात करने के लिए कुछ विशेष माध्यमों (मीडियम) या विधियों का प्रयोग किया जा सकता है. इनमें ओइजा बोर्ड, सेन्स (seance) और स्पिरिट बॉक्स जैसी चीज़ों का प्रयोग शामिल है. ओइजा बोर्ड का इस्तेमाल आत्माओं से संवाद साधने के लिए किया जाता है, जहां कुछ लोग मानते हैं कि आत्माएं बोर्ड पर लिखी गई अक्षरों के माध्यम से जवाब देती हैं.
इसी तरह, सेन्स में लोग जमा होकर आत्माओं को बुलाने का प्रयास करते हैं. स्पिरिट बॉक्स एक तकनीकी उपकरण है जिसका उपयोग रेडियो तरंगों के माध्यम से भूतों या आत्माओं से बात करने के लिए किया जाता है. यह मान्यता है कि आत्माएं रेडियो तरंगों के जरिए संदेश भेज सकती हैं.
क्या कहता है विज्ञान?
विज्ञान के अनुसार भूतों का अस्तित्व और उनसे संवाद संभव नहीं है. अधिकांश वैज्ञानिक इसे मानसिक भ्रम, अंधविश्वास, या मनोवैज्ञानिक स्थिति के रूप में देखते हैं. यह भी कहा जाता है कि जब लोग किसी प्रियजन को खो देते हैं, तो उनका दिमाग उस व्यक्ति की यादों को इस तरह से सजग करता है कि उन्हें महसूस होता है कि वे उससे संपर्क कर रहे हैं. इसे ग्रेस सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है, जो शोक की स्थिति में होने वाली मानसिक अवस्था है.
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भूतों से बात करने की लोकप्रियता
टीवी शो, फिल्में, और साहित्य भूतों से बात करने की कहानियों को रोचक बनाते हैं, जिससे यह विचार और लोकप्रिय हुआ है. "घोस्ट हंटिंग" जैसे टीवी शो इस अवधारणा को बढ़ावा देते हैं कि भूतों से बात की जा सकती है. हालांकि, अधिकांश वैज्ञानिक और मनोचिकित्सक इसे मनोरंजन और भ्रम का हिस्सा मानते हैं. भूतों से बात करने का विचार एक पुरानी और रोचक अवधारणा है, लेकिन इसके पीछे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. यह व्यक्तिगत विश्वासों, अंधविश्वासों और मानसिक स्थिति पर आधारित हो सकता है.