Fact: दुनिया में कई रहस्यमयी और अजीब जगहें हैं, लेकिन केरल का एक गांव अपने खासियत के लिए खासा प्रसिद्ध है. यह गांव है मलप्पुरम जिले का कोडिन्ही गांव, जिसे जुड़वां बच्चों का गांव भी कहा जाता है. यहां के हर घर में जुड़वां बच्चों का जन्म होता है, और इस अनोखी बात ने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है. आइए, जानते हैं इस रहस्यमयी गांव के बारे में विस्तार से.
कोडिन्ही गांव में जुड़वां बच्चों की खासियत
कोडिन्ही गांव भारत का एक ऐसा गांव है जहां हर घर में जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं. यहां की आबादी में जुड़वां बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, इस गांव में 2000 परिवारों में से 550 जुड़वां लोग हैं. यहां नवजात शिशुओं से लेकर 65 साल के बुजुर्गों तक जुड़वां लोग मिल जाते हैं. इस गांव में बच्चों की उम्र की बात करें तो यहां 15 साल से कम उम्र के कई जुड़वां बच्चे हैं, और एक स्कूल में तो 80 जुड़वां बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं.
जुड़वां बच्चों की संख्या और दुनिया में स्थान
साल 2008 में किए गए एक अनुमान के अनुसार, इस गांव में 280 जुड़वां थे. इस आंकड़े में पिछले वर्षों में काफी बढ़ोतरी हुई है. दिलचस्प बात यह है कि पूरे भारत में 1000 बच्चों में से केवल 9 जुड़वां पैदा होते हैं, जबकि कोडिन्ही गांव में 1000 बच्चों में से 45 जुड़वां पैदा होते हैं. यह आंकड़ा पूरी दुनिया में दूसरे स्थान पर है, जबकि पहले स्थान पर नाइजीरिया का इग्बो-ओरा गांव है, जहां 1000 में से 145 जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं.
वैज्ञानिकों की खोज
कोडिन्ही गांव के जुड़वां बच्चों की संख्या ने वैज्ञानिकों को भी चौंका दिया है. अक्टूबर 2016 में हैदराबाद की सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉड्यूलर बायोलॉजी, केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरिज एंड ओशियन स्टडीज और लंदन यूनिवर्सिटी के साथ ही जर्मन वैज्ञानिकों की एक टीम इस गांव में शोध के लिए आई थी. उनका मकसद इस रहस्य का पता लगाना था, लेकिन कई रिसर्च के बावजूद जुड़वां बच्चों के जन्म के रहस्य का समाधान नहीं मिल सका.
कोडिन्ही गांव आज भी एक रहस्यमयी जगह बना हुआ है, इस गांव की अनोखी खासियत ने इसे दुनिया भर में एक खास स्थान दिलाया है.
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