एकाग्र मन, सच्ची लगन और कड़ी मेहनत से कुछ भी मुश्किल नहीं. यही कर दिखाया है महाराष्ट्र के औरंगाबाद की दीक्षा शिंदे (Diksha Shinde) ने. आज चारों और दीक्षा शिंदे की तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं. लेकिन इसके पीछे उसकी मेहनत कितनी है. ये सिर्फ दीक्षा शिंदे ही जानती है. वैसे जो भी हो महज 14 साल में इतना बड़ा कारनामा करना किसी सपने से कम नहीं. सोशल मीडिया पर दीक्षा शिंदे को बधाइयों का तांता लगा है. हर व्यक्ति दीक्षा को शुभकामनाएं देना चाहता है. हर कोई दीक्षा के इस काम से खुश है और देश के लिए गर्व महसूस कर रहा है. इतनी सी उम्र में इतनी बड़ी सफलता सोचकर भी गर्व महसूस होता है.
दरअसल, महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रहने वाली दीक्षा शिंदे (Diksha Shinde) का नाम महज 14 साल की उम्र में में काफी फेमस हो गया. क्योंकि दीक्षा का नाम नासा (NASA)फैलोशिप के लिए चुना गया है. दीक्षा को नासा ने (NASA Fellowship) के लिए सिलेक्ट किया गया है. दीक्षा शिंदे को नासा के एमएसआई फैलोशिप वर्चुअल (NASA MSI Fellowships) पैनल पर पैनलिस्ट के रूप में सिलेक्ट किया गया है. इसके साथ ही दीक्षा इतनी कम उम्र मे इस फैलोशिप को पाने वाली पहली लेडी बन गई है.
कैसे पाया मुकाम
ANI न्यूज एजेंसी से बातचीत में दीक्षा ने बताया कि उन्होंने ब्लैक होल और गॉड पर एक थ्योरी लिखी थी. तीन प्रयासों के बाद नासा ने उसे स्वीकार किया था. साथ ही नासा ने उसे अपनी वेबसाइट पर एक आर्टीकल लिखने को कहा था. बर आर्टीकल के बाद मुझे फैलोशिप के लिए सिलेक्ट कर लिया गया. नासा फैलोशिप के चयन होने पर वह बहुत खुश है. वह नासा के माध्यम से देश के लिए बहुत कुछ करना चाहती है. अपनी कामयाबी का श्रेय दीक्षा अपने परिजनों को देती है. जिन्होने समय-समय पर उसे गाइड किया. इतनी कम उम्र मे इतनी बड़ी कामयाबी के लिए उसकी जमकर तारीफ हो रही है सोशल मीडिया पर अलग-अलग अंदाज में दीक्षा को बधाइयां दी जा रही है
HIGHLIGHTS
- महज14 साल में नासा की फैलोशिप पाकर बढ़ाया मान
- सोशल मीडिया पर मिल रही शुभकामनाएं
- स्वयं दिशा ने बताया कैसे हुआ फैलोशिप के लिए चयन
Source : News Nation Bureau