साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे अपराध की क्षेणी से बाहर कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद समलैंगिकता से जुड़े कई मामले सामने आए. लेकिन यूपी के हमीरपुर से सामने आए एक मामले ने सभी के होश उड़ा दिए हैं. दिसंबर 2018 के इस मामले ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. दरअसल इस मामले में दो महिलाओं ने अपने-अपने पति को तलाक देकर एक-दूसरे से मंदिर में शादी कर ली.
दोनों महिलाओं की उम्र 21 साल के आस-पास है, जो सात साल पहले से एक-दूसरे को जानती हैं. दोनों महिलाएं एक ही गांव में रहती थीं, जहां इन दोनों की दोस्ती हो गई थी. धीरे-धीरे इनकी दोस्ती प्यार में बदल गई. लेकिन दोनों शादी के बाद एक-दूसरे से दूर हो गईं. ससुराल जाने के बाद दोनों ही महिलाओं को ये दूरी बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने अपने-अपने पतियों को तलाक दे दिया. समलैंगिक शादी के बाद अभिलाषा नाम की महिला ने खुद को पति और दीपशिखा नाम की महिला ने खुद को पत्नी माना है.
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मंदिर में शादी के बाद दोनों इस रिश्ते को पंजीकृत कराने के लिए रजिस्ट्रार दफ्तर पहुंची थीं, हालांकि यहां अभिलाषा और दीपशिखा की शादी को रजिस्टर नहीं किया जा सका. रजिस्ट्रार अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले वाला शासनादेश अभी तक विभाग में नहीं पहुंच सका है. जिसकी वजह से वे इस शादी को रजिस्टर नहीं कर सकते.
दोनों महिलाओं ने शादी से पहले एक-दूसरे से कुल 7 वादे किए थे, जिससे जुड़ा एक एफिडेविट उन्होंने रजिस्ट्रार दफ्तर में भी दिया. एफिडेविट में नौकरी, दूसरे मर्द से शारीरिक संबंध, बच्चों को लेकर वादे किए गए हैं. इसमें दोनों ने वादा किया है कि वे एक-दूसरे को नौकरी करने से नहीं रोकेंगी. इसके अलावा दोनों ही महिलाएं किसी भी मर्द के साथ संबंध नहीं बनाएंगी और आखिरी वादा ये है कि वे बच्चा पैदा करने की कोई इच्छा नहीं रखेंगी.
Source : News Nation Bureau