आम, जिसे फलों का राजा कहा जाता है. क्योंकि आम ना केवल सबसे स्वादिष्ट फल है, बल्कि इसकी सबसे ज्यादा किस्में भी पाई जाती है. वैसे तो भारत में कई तरह के आम पाए जाते हैं. अक्सर आमों के बगीचों में चोरी भी होती है. मगर मध्य प्रदेश के जबलपुर से जो मामला आया है, वो बेहद चौंकाने वाला है. यहां एक बगीचे में आम के सिर्फ दो पेड़ों की रखवाली के लिए काफी बड़े इंतजाम किए गए हैं. चार गार्ड और 6 कुत्तों को इन पेड़ों की रखवाली के लिए लगाया गया है. ऐसा इसलिए कि जो यह आम की किस्म है, वो भारत में दुर्लभ है और दुनिया में सबसे महंगे आमों में से एक है.
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इस आम का नाम है तइयो नो तमागो. ये इस का जापनीज नाम है. दरअसल, ये जापान में ही होता है और इससे एग ऑफ सन यानी सूर्य का अंडा कहा जाता है, क्योंकि ये जब पूरा पक्क जाता है तो ये हल्का लाल और पीला होता है. इसका वजन भी करीब 900 ग्राम तक पहुंच जाता है. इसमें रेशे नहीं पाए जाते और स्वाद में यह बहुत मीठा होता है. आम की यह प्रजाति जापान में संरक्षित वातावरण में उगाई जाती है, लेकिन इससे भी खास बात है कि ये आम मध्यप्रदेश के जबलपुर की धरती पर भी पैदा होता है. जबलपुर के रहने वाले संकल्प सिंह परिहार ने अपनी बंजर पड़ी जमीन पर इसे खुले वातावरण में ही उगाया. यह आम की किस्म दुनिया का सबसे महंगी है. इसकी कीमत सैकड़ों या हजारों में नहीं, बल्कि लाखों रुपये है.
किसान संकल्प ने 3 साल पहले जबलपुर में अपने बगीचे में आम की इस किस्म के दो पौधे लगाए थे. इस आम को लेकर यह किसान दावा करते हैं कि पिछले साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह आम 2.70 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा गया था. संकल्प परिहार कहते हैं कि इस आम की कीमत के बार में लोगों को पता चला तो चोरों ने बाग पर हमला कर दिया था. चोर पेड़ के दो फल और डालियां चुरा ले गए थे. हालांकि किसी तरह पेड़ को बचाया जा सका. उन्होंने बताया कि इस साल आम के इस पेड़ की सुरक्षा का विशेष इंतजाम किया है, जिस पर 7 आम लगे हैं.
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आम बगीचे के मालिक संकल्प सिंह परिहार के मुताबिक, जापान के वातावरण में होने वाले पेड़ यदि किसी और देश के वातावरण में आसानी से होने लगते हैं कि आश्चर्य ही होता है. संकल्प बताते हैं कि इस बगीचे की शुरुआत कुछ पौधों से की गई थी और आज 14 हाइब्रिड आम उनके बागीचे में आसानी से होते हैं. उनमें से ही एक है भारत सबसे मंहगा आम मल्लिका. जो वजन में सबसे बड़ा होता है. संकल्प ने बताया कि इस आम की खेती में किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है. उन्होंने कुछ देशी हाइब्रिड और कुछ विदेशी हाइब्रिड किस्म के आमों की किस्में लगाई हैं. जब उन्होंने सबसे महंगे आम को लगाने की शुरुआत की थी, उन्होंने अंदाजा नहीं लगाया था कि जबलपुर के वातावरण में पेड़ आसानी से पनप सकेगा. आम के पेड़ की हाइट काफी छोटी है और फल ज्यादा होते हैं.