आधार कार्ड ने मिलवाया परिवार से! सालों पहले बिछड़ गया था दिव्यांग बच्चा

Aadhar Card Reunites Disabled Child With His Family: कई बार ऐसे हादसे होते हैं जब लोग अपनों से बिछड़ जाते हैं. बिछड़ने के बाद परिवार से मिल पाना फिर शायद इतना आसान भी नहीं होता. वहीं अगर ऐसा हो जाए तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं होता.

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Shivani Kotnala
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Aadhar Card Reunites Disabled Child With His Family

Aadhar Card Reunites Disabled Child With His Family( Photo Credit : Social Media)

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Aadhar Card Reunites Disabled Child With His Family: कुंभ के मेले में अपनों से बिछड़ जाने का मुहावरा आपने भी कई बार सुना होगा. कई बार ऐसे हादसे होते हैं जब लोग अपनों से बिछड़ जाते हैं. बिछड़ने के बाद परिवार से मिल पाना फिर शायद इतना आसान भी नहीं होता. वहीं अगर ऐसा हो जाए तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं होता. ऐसा ही एक मामला बिहार से आ रहा है. यहां साल 2016 में एक दिव्यांग बच्चा अपने परिवार से बिछड़ गया था. परिवार से मिलने की उम्मीद तो दिल में रही होगी लेकिन उसने कभी ना सोचा होगा उसका आधार कार्ड उसे उसके परिवार से मिलाने का एक जरिया बन जाएगा. 

आधार के लिए  बायोमेट्रिक्स  बना संकेत
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिव्यांग बच्चा नवंबर 2016 में बिहार के खगड़िया जिले से लापता हो गया था. उस समय दिव्यांग बच्चे की उम्र महज 15 साल थी. वहीं 28 नवंबर 2016 को नागपुर रेलवे स्टेशन पर लापता बच्चा मिला था. क्यों कि अज्ञात बच्चा विशेष रूप से विकलांग था, रेलवे अधिकारियों ने उचित प्रक्रिया के बाद उसे नागपुर के सरकारी अनाथालय को सौंप दिया.  बोलने और सुनने में अक्षम बच्चे का नाम प्रेम रमेश इंगले रखा गया. इसके बाद जुलाई 2022 में अनाथालय के अधीक्षक और काउंसलर विनोद डाबेराव ने  प्रेम रमेश इंगले के आधार पंजीकरण के लिए नागपुर में आधार सेवा केंद्र (एएसके) का दौरा किया गया.  लेकिन नामांकन के लिए आधार बनाने में कुछ परेशानियां आने लगीं. दरअसल परेशानी ये थी कि आधार के लिए  बायोमेट्रिक्स किसी अन्य मौजूदा आधार संख्या से मेल खा रहे थे.

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बिहार के शख्स के रूप में हुई पहचान
इसके बाद नागपुर के एएसके ने मुंबई में यूआईडीएआई के क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क किया. सत्यापन में यह सामने आया कि युवक के पास सचिन कुमार नाम और बिहार के खगड़िया जिले के एक इलाके के पते वाला आधार पहले था, जो 2016 में बना था. इसके बाद अगस्त के तीसरे सप्ताह में पुलिस अधिकारियों और गांव के सरपंच से अपेक्षित दस्तावेज लेकर युवक की मां और चार परिजन नागपुर पहुंचे. मुख्य रूप से आधार के कारण सचिन कुमार अब अपने परिवार से फिर मिल चुका है.

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